ई-सिगरेट: एक खतरनाक लत और इसके गंभीर प्रभाव

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धूम्रपान को स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है। सरकारें इससे बचाव और जागरूकता के लिए समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी करती हैं। हालांकि, नशे के कुछ ऐसे विकल्प भी हैं जो लोगों को अपने चंगुल में फंसा रहे हैं। इनमें से एक है ई-सिगरेट। यह न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाती है। आइए, ई-सिगरेट की शुरुआत, इसके उपयोग और खतरों के बारे में विस्तार से जानें।

ई-सिगरेट की शुरुआत: कहां से हुई थी शुरुआत?

ई-सिगरेट, जिसे “वेप” भी कहा जाता है, पहली बार 2003 में चीनी फार्मासिस्ट हों लिक (Hon Lik) द्वारा विकसित की गई थी। इसे पारंपरिक सिगरेट का सुरक्षित विकल्प माना गया था, लेकिन समय के साथ इसके दुष्प्रभाव सामने आने लगे।

ई-सिगरेट: क्या है और कैसे काम करती है?

ई-सिगरेट की संरचना

ई-सिगरेट एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जिसमें मुख्यतः तीन भाग होते हैं:

  1. बैटरी: ऊर्जा का स्रोत।
  2. एटोमाइज़र: यह ई-लिक्विड को गर्म करके भाप में बदलता है।
  3. कार्ट्रिज या टैंक: इसमें ई-लिक्विड स्टोर किया जाता है।

कैसे काम करती है ई-सिगरेट?

  • इसमें एक खास ई-लिक्विड होता है, जिसमें 95% प्रोपिलीन ग्लाईकॉल और ग्लिसरीन होते हैं।
  • शेष 5% में फ्लेवर, निकोटिन और अन्य रसायन शामिल होते हैं।
  • जब डिवाइस को चालू किया जाता है, तो ई-लिक्विड गर्म होकर भाप (वेपर) में बदल जाता है।
  • उपयोगकर्ता इसे खींचकर अपने शरीर में लेता है।

ई-सिगरेट के खतरनाक प्रभाव

स्वास्थ्य पर प्रभाव

  1. निकोटिन की लत: ई-सिगरेट में मौजूद निकोटिन, जो एक अत्यधिक नशेड़ी तत्व है, इसे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बनाता है।
  2. रसायनिक प्रभाव: ई-सिगरेट में मौजूद अन्य रसायन फेफड़ों और दिल को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  3. दीर्घकालिक प्रभाव: वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि लंबे समय तक ई-सिगरेट का उपयोग करने से कैंसर, हृदय रोग और फेफड़ों की समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।

पर्यावरण पर प्रभाव

  1. प्लास्टिक और बैटरी कचरा: ई-सिगरेट को डिस्पोज़ करने पर प्लास्टिक और बैटरी का कचरा बनता है, जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है।
  2. जहरीले तत्व: इनकी बैटरियों से निकले रसायन मिट्टी और पानी को दूषित कर सकते हैं।

नए साल में कहां बैन हो रही है ई-सिगरेट?

बेल्जियम में नया कदम

बेल्जियम ने 1 जनवरी 2024 से डिस्पोजेबल ई-सिगरेट पर पूरी तरह से रोक लगाने का फैसला किया है। इस प्रतिबंध का उद्देश्य:

  1. बच्चों को इसके सेवन से बचाना।
  2. पर्यावरण संरक्षण करना।

भारत में ई-सिगरेट की स्थिति

भारत ने 2019 में ई-सिगरेट के निर्माण, बिक्री और भंडारण पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया। इसे रखना भी गैर-कानूनी है। सरकार का मानना है कि यह लत युवाओं में तेजी से फैल रही थी और इसे रोकना आवश्यक था।

क्या वाकई ई-सिगरेट पारंपरिक सिगरेट से कम खतरनाक है?

सच और भ्रम

  • ई-सिगरेट को पारंपरिक सिगरेट का “कम हानिकारक” विकल्प माना गया था।
  • हालांकि, शोध बताते हैं कि इसमें भी निकोटिन और खतरनाक रसायन होते हैं।
  • यह केवल भ्रम है कि ई-सिगरेट सुरक्षित है।

ई-सिगरेट से बचने के उपाय

  1. जागरूकता बढ़ाएं: ई-सिगरेट के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक करें।
  2. युवाओं पर ध्यान दें: स्कूल और कॉलेजों में इसके खतरों पर विशेष सत्र आयोजित करें।
  3. सख्त कानून लागू करें: बिक्री और उपयोग पर सख्त प्रतिबंध लगाएं।
  4. पर्यावरण संरक्षण: ई-सिगरेट के कचरे को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी नीतियां बनाएं।