मोबाइल फोन यूजर्स की बढ़ती संख्या के कारण राजनीतिक दल अब गली-गली प्रचार के साथ सोशल मीडिया पर भी जोर

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दिल्ली में चुनाव प्रचार का तरीका तेजी से बदल रहा है, और मोबाइल फोन यूजर्स की बढ़ती संख्या के कारण राजनीतिक दल अब गली-गली प्रचार के साथ सोशल मीडिया पर भी जोर दे रहे हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेने वाले तीन प्रमुख राजनीतिक दलों ने 23 जनवरी तक फेसबुक, एक्स और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया मंचों पर 519 विज्ञापनों को प्रसारित करने की अनुमति मांगी थी। मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की जांच के बाद, 350 विज्ञापनों को प्रसारित करने की मंजूरी दी गई, जबकि 166 विज्ञापनों को तथ्य मानकों के अनुरूप नहीं होने के कारण अस्वीकृत कर दिया गया।

सोशल मीडिया पर विज्ञापन प्रसारित करने की अनुमति लेने में भाजपा सबसे आगे रही है। भाजपा ने 49 प्रार्थना पत्र भेजकर 293 विज्ञापनों को प्रसारित करने की अनुमति मांगी थी। 23 जनवरी तक के आंकड़ों के अनुसार, मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मॉनीटरिंग कमेटी (एमसीएमसी) ने 207 विज्ञापनों को मंजूरी दी, जबकि 86 विज्ञापनों को अस्वीकृत कर दिया गया।

आम आदमी पार्टी ने 28 प्रार्थना पत्र भेजकर 200 विज्ञापनों की अनुमति मांगी थी, जिनमें से 121 को स्वीकृति मिली। कांग्रेस ने 9 प्रार्थना पत्र भेजकर 24 विज्ञापनों को प्रसारित करने की अनुमति मांगी, जिनमें से 22 को मंजूरी दी गई, जबकि 2 विज्ञापन मानकों के अनुरूप नहीं होने पर अस्वीकृत कर दिए गए।

ट्राई के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में मोबाइल कनेक्शनों की संख्या आबादी से भी ज्यादा है। दिल्ली में 5 करोड़ से अधिक मोबाइल कनेक्शन हैं, जिसका मतलब है कि औसतन हर व्यक्ति के पास दो मोबाइल कनेक्शन हैं। ऐसे में सोशल मीडिया के जरिए जनता तक संदेश पहुंचाना आसान हो गया है।

इन मापदंडों पर तथ्यों को परखा जाता है

मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के मुताबिक, सोशल मीडिया पर चुनाव प्रचार के लिए विज्ञापन बनाने के दौरान कई नियमों का पालन करना जरूरी है। इनमें सेना की वर्दी और लोगो का इस्तेमाल, राष्ट्रपति से संबंधित बयान, और देश की अखंडता को प्रभावित करने वाले चित्र या बयान शामिल हैं। जो विज्ञापन इन मापदंडों पर खरे नहीं उतरते, उन्हें स्वीकृति नहीं दी जाती। चुनाव प्रचार के लिए अब एक सप्ताह से भी कम समय बचा है, और सभी राजनीतिक दल अपनी पूरी ताकत प्रचार में लगा देंगे। आखिरी सप्ताह में सोशल मीडिया पर प्रचार वार बढ़ने की संभावना है।

2020 के चुनाव में भी किया था खर्च

2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी राजनीतिक दलों ने सोशल मीडिया पर खूब खर्च किया था। आंकड़ों के मुताबिक, एक माह में फेसबुक पर 1.99 करोड़ रुपये चुनाव प्रचार पर खर्च किए गए थे। सबसे ज्यादा खर्च भाजपा ने 31.61 लाख रुपये किया, इसके बाद कांग्रेस ने 13.67 लाख रुपये, माई दिल्ली-माई प्राइड नामक पेज पर 14.73 लाख रुपये और ‘आप’ समर्थित एक अन्य पेज पर 11.92 लाख रुपये खर्च किए थे। चुनाव प्रचार के आखिरी सप्ताह में फेसबुक पर 78 लाख रुपये खर्च किए गए थे।