ड्राइविंग लाइसेंस नियम: अब आपको ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) जाकर लंबी लाइनों में लगने की जरूरत नहीं है। केंद्र सरकार ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के नियमों को आसान बना दिया है। अब ड्राइविंग टेस्ट की जरूरत नहीं है। ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए जरूरी शर्तों में किए गए बदलाव के मुताबिक अब आपको RTO जाकर किसी भी तरह का ड्राइविंग टेस्ट देने की जरूरत नहीं होगी। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इन दिशा-निर्देशों की घोषणा कर दी है और ये अब प्रभावी हो गए हैं। यह एक बड़ी राहत है।
ड्राइविंग स्कूल और प्रशिक्षण
मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, अब आपको ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आरटीओ में टेस्ट का इंतजार करने की जरूरत नहीं होगी। अब आप किसी भी प्रतिष्ठित ड्राइविंग ट्रेनिंग संस्थान से लाइसेंस के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। अगर आवेदक जरूरी टेस्ट पास कर लेते हैं तो उन्हें स्कूल से सर्टिफिकेट मिलेगा। इस सर्टिफिकेट के आधार पर आवेदक का ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाएगा।
ड्राइविंग सिखाने वालों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए
दोपहिया, तिपहिया और हल्के मोटर वाहनों के लिए प्रशिक्षण सुविधाओं के लिए न्यूनतम एक एकड़ भूमि उपलब्ध होनी चाहिए, जबकि मध्यम और भारी यात्री मालवाहक वाहनों या ट्रेलरों के लिए दो एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी।
प्रशिक्षकों के पास कम से कम 12वीं कक्षा का डिप्लोमा, कम से कम पांच वर्ष का ड्राइविंग अनुभव और यातायात नियमों की अच्छी समझ होनी चाहिए।
हल्के मोटर वाहन पाठ्यक्रम चलाने के लिए अधिकतम 4 सप्ताह और 29 घंटे का समय दिया जाता है।
21 घंटे तक लोगों को बुनियादी सड़कें, ग्रामीण सड़कें, हाईवे, शहर की सड़कें, पार्किंग, रिवर्सिंग और ऊपर-नीचे ड्राइविंग समेत अन्य चीजें सीखनी होंगी। इसके अलावा 8 घंटे में सड़कों पर ट्रैफिक में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और ट्रैफिक से जुड़ी जानकारी, दुर्घटनाओं के कारणों को समझना, प्राथमिक उपचार और गाड़ी चलाते समय पेट्रोल-डीजल जैसे विषय शामिल होंगे।