सहरसा,22 अप्रैल (हि.स.)। शशि सरोजनी रंगमंच सेवा संस्थान द्वारा साहित्यकार हरिशंकर श्रीवास्तव ”शलभ” एवं पुनमलता सिन्हा स्मृति सम्मान समारोह आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि भूमि सुधार उप समाहर्ता ललित कुमार सिंह ने दीप प्रज्ववलित कर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया। इससे पूर्व उपस्थित अतिथियों व कवियों को पुष्प गुच्छ, चादर व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।
संस्थान द्वारा इस तरह के आयोजन की सराहना करते हुए डीसीएलआर सिंह ने कहा कि साहित्य हमारी सीख को तेजी से बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि साहित्यकार शलभ जी ने अपने जीवन काल में साहित्य को जो जिया है। उनकी कई शोध पुस्तके आयी है। नाट्य निर्देशक कुंदन वर्मा के निर्देशन में आकांक्षा आजाद, चित्राक्षी चन्द्री,प्राश्री सिंह,सानवी कुमारी,स्वस्तिका सिंह ने नृत्य प्रस्तुत कर लोगों का मन मोह लिया।
डॉ. शिवनारायण, पटना के साहित्यिक सेवा को साहित्यकार हरिशंकर श्रीवास्तव ”शलभ” स्मृति सम्मान एवं डॉ. वन्दना गुप्ता, सिलीगुड़ी के साहित्यिक उत्कृष्टता को पूनमलता सिन्हा स्मृति सम्मान प्रदान किया गया। मुख्य वक्ता साहित्यकार रामचैतन्य धीरज ने शलभ जी के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि आरम्भिक दिनों में कविता लेखन उनकी मुख्य विधा थी।उनके ताबड़तोड़ काव्य लेखन ने उन्हें एक कवि के रूप में उन्हें राष्ट्रीय पटल पर स्थापित कर दिया। 1951 में पहली काव्यकृति ”अर्चना” ने उन्हें उनके श्रीयश में वृद्धि की।
आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री ने इस पुस्तक की भूमिका में लिखा कि कवि शलभ भावना की लहरों पर लहरानेवाले नहीं, दार्शनिक प्रवृत्ति के अंतर्मुख कवि हैं। रूप शिल्प की अपेक्षा जीवन-मंथन इनकी साधना का प्रमुख लक्ष्य,उनके काव्य का मूल तत्व प्रतीत होता है।
डॉ. वन्दना गुप्ता ने पूनमलता सिन्हा को याद करते हुए कही कि सरकारी सेवा और ग्रहस्थाश्रम जैसे कठिन कार्यों को निर्वहन करते हुए साहित्यिक व सांस्कृतिक रुचि ने उनके व्यक्तित्व को महान बनाता है। समारोह का संचालन संस्थान के सचिव वंदन वर्मा ने किया।