भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन एक युग का अंत है। उनके नेतृत्व में भारत ने कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं, जिनमें से सबसे उल्लेखनीय भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता है। इस समझौते ने 34 वर्षों के अलगाव के बाद भारत को वैश्विक परमाणु व्यापार में प्रवेश दिलाया और द्विपक्षीय संबंधों को एक नई दिशा दी।
परमाणु समझौता: भारत-अमेरिका संबंधों का नया अध्याय
25 सितंबर 2008 को व्हाइट हाउस में, डॉ. मनमोहन सिंह और अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने इस ऐतिहासिक समझौते को अंतिम रूप दिया। मनमोहन सिंह ने इस मौके पर कहा था:
“भारत की जनता आपसे बहुत प्रेम करती है।”
यह बयान न केवल उनकी कूटनीतिक गर्मजोशी को दर्शाता है, बल्कि भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती साझेदारी का प्रतीक भी था।
व्हाइट हाउस में ऐतिहासिक क्षण
उस दिन वाशिंगटन का मौसम बादलों और बारिश से घिरा था, लेकिन व्हाइट हाउस के भीतर माहौल गर्मजोशी और सहयोग से भरपूर था।
- आठ मिनट की प्रेस वार्ता में दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की प्रशंसा की।
- डॉ. सिंह ने बुश के नेतृत्व को “इतिहास में महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक” बताया।
- बुश ने मनमोहन सिंह को “बुद्धिमान और दूरदर्शी नेता” कहकर संबोधित किया।
बुश ने इस समझौते को “दोनों देशों के लिए कठिन लेकिन महत्वपूर्ण कदम” बताते हुए कहा,
“हमने साथ मिलकर अपने देशों के रिश्तों को नई ऊंचाईयों तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत की है।”
परमाणु रंगभेद का अंत
डॉ. सिंह ने इस समझौते को “परमाणु रंगभेद” के अंत के रूप में देखा। उन्होंने कहा:
“34 वर्षों तक भारत परमाणु सामग्री और रिएक्टरों के व्यापार से अलग रहा। इस प्रतिबंध को समाप्त करने का श्रेय राष्ट्रपति बुश को जाता है। भारत के लोग आपसे प्यार करते हैं, क्योंकि आपने दोनों देशों को करीब लाने का काम किया है।”
राजनीतिक विवाद और आलोचना
डॉ. सिंह के बयान, “भारत की जनता आपसे गहरा प्रेम करती है,” पर भारत में तीखा राजनीतिक विवाद छिड़ गया।
- वामपंथी दलों और बीजेपी ने इसे कठोर शब्दों में आलोचना की।
- सीपीआई-एम महासचिव प्रकाश करात ने कहा,
“प्रधानमंत्री को बुश से प्रेम है, यह उनका निजी मामला हो सकता है, लेकिन इसमें भारतीय जनता को क्यों घसीटा जा रहा है?” - बीजेपी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने इस टिप्पणी को “व्यक्तिगत प्रशंसा” कहकर खारिज किया।
वाम दलों ने इस मुद्दे पर यूपीए-1 सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिससे राजनीतिक संकट उत्पन्न हो गया।
कांग्रेस का बचाव
तत्कालीन कांग्रेस मीडिया सेल अध्यक्ष वीरप्पा मोइली ने प्रधानमंत्री की टिप्पणी का बचाव करते हुए कहा:
“यह भारत के सहिष्णु और मिलनसार रवैये की अभिव्यक्ति थी। भारत ने कभी नफरत की संस्कृति का पालन नहीं किया है। प्रधानमंत्री के बयान में कुछ भी गलत नहीं है।”
बुश और सिंह: एक मजबूत साझेदारी
2009 में भारत दौरे पर, जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने मनमोहन सिंह की प्रशंसा करते हुए कहा:
“प्रधानमंत्री एक बुद्धिमान नेता हैं। उन्होंने भारत को आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चे पर नई ऊंचाईयों तक पहुंचाया है।”
बुश ने भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधारों के लिए डॉ. सिंह के योगदान को भी सराहा।
परमाणु समझौते का महत्व
इस समझौते ने भारत को वैश्विक परमाणु व्यापार में प्रवेश दिलाया।
- परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) में भारत को विशेष छूट मिली।
- भारत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए नई संभावनाएं खोलीं।
- समझौता भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करने में सहायक बना।
मनमोहन सिंह: एक दूरदर्शी नेता
डॉ. सिंह का यह कदम केवल एक कूटनीतिक उपलब्धि नहीं था, बल्कि यह उनके नेतृत्व की दूरदृष्टि का प्रमाण भी था।
- उन्होंने वैश्विक संबंधों को नई दिशा दी।
- आर्थिक और कूटनीतिक सुधारों से भारत को एक मजबूत स्थिति में लाया।