परमहंस लक्ष्मीनाथ गोसाई सिद्ध साधक संत ही नही अपितु सनातन धर्म के रक्षक थे : डॉ कुलानंद झा

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सहरसा, 7 दिसंबर (हि.स.)। बाबा लक्ष्मी नाथ गोसाई के 231वें जन्म महोत्सव पर सरबा सद्भावना यात्रा धूमधाम से निकाली गई। सरबा सद्भावना यात्रा का आरंभ बनगांव बाबाजी कुटी पर पंचोपचार पूजा पंडित नवीन खां,पंडित माधवाचार्य, पंडित योगेश,पंडित पवन एवं बाबा जी पुजारी राजेंद्र झा, पंडित अजय द्वारा किया गया। सरबा सद्भावना शोभा यात्रा को पूर्व मंत्री सह विधायक डॉक्टर आलोक रंजन,सदर एसडीओ प्रदीप कुमार झा,नगर निगम महापौर बैंन प्रिया, बनगांव नप अध्यक्ष दीपिका, समाजसेवी रमन झा, लाजवंती झा, धनंजय झा द्वारा संयुक्त रूप से झंडी दिखाकर रवाना किया गया।

सद्भावना यात्रा बनगांव से निकलने के बाद बाबा जी लक्ष्मीनाथ गोसाई की जन्मस्थली सुपौल जिले के परसरमा गांव स्थित बाबाजी कुटी पर 231 दीप जलाए गए। इसके बाद रथ यात्रा का प्रथम स्वागत पुरुषोत्तमपुर पुरीष चौक पर किया गया। वहां से निकलने के बाद मुख्तार मंदिर पंचगछिया, बरहसर में स्वागत किया गया। तत्पश्चात रथ यात्रा का स्वागत गौरी शंकर चौक बिहरा सिहौल बलहा गढ़िया में ग्रामीणों ने पुष्पांजलि एवं माल्यार्पण किया।

बाबा जी की जीवन चरित्र पर प्रख्यात कवि अरविंद मिश्रा साहित्य परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार झा अवध, प्रोफेसर भवानंद मिश्रा एवं प्रोफेसर कुलानंद झा के द्वारा बाबा जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तृत रूप से चर्चा की गई।डॉक्टर कुलानंद झा ने कहा कि परमहंस लक्ष्मी नाथ गोसाई सिर्फ सिद्ध साधक संत ही नही अपितु अध्यात्म एवं साहित्य के सिद्ध हस्त नक्षत्र थें।उन्हें अष्ट सिद्धि प्राप्त थी जिसके कारण वे कही भी परास्त नही हुए।उन्होंने कहा परमहंस लक्ष्मीनाथ गोसाई सनातन धर्म के रक्षक थें।माैके पर धनंजय झा उर्फ भगवान झा ने उन्हें बाबा जी रचित भजन कीर्तन गीत को अपने स्वर में गायन करने का आग्रह किया।