पूर्वी चंपारण,22अप्रैल(हि.स.)। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग के तत्वाधान में सोमवार को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की पत्रकारिता में सामाजिक सांस्कृतिक चेतना विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी आयोजन किया गया। गोष्ठी के संरक्षक कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव थे। वही मुख्य वक्ता प्रो.सुनील महावर,विशिष्ट वक्ता आरएसएस के चंपारण विभाग के प्रचारक नीतीश कश्यप मौजूद थे।
मुख्य वक्ता प्रो. सुनील महावर ने कहा कि देश की आजादी में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का योगदान गांधी जी से कम नहीं था। उनका योगदान केवल दलितों के लिए ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण समाज के लिए था। उनके संविधान में विशेष योगदान को कभी नहीं बुलाया जा सकता है। उन्होंने समाज की तुलना जहाज से करते हुए कहा कि जिस तरह जहाज के किसी एक हिस्से में छेद हो जाता है तो पूरा जहाज डूब जाता है, उसी प्रकार समाज के किसी एक जाति विशेष के साथ यदि अत्याचार होता है तो पूरे समाज को नुकसान उठाना पड़ता हैं।
उन्होंने कहा कि डॉ. आंबेडकर का पत्रकारिता में अद्वितीय योगदान रहा है। उनके द्वारा प्रकाशित मूकनायक, बहिष्कृत भारत , समता ,प्रबुद्ध भारत जैसे पत्रिका ने देश की आजादी व समाज के कल्याण में बहुत ही अहम भूमिका निभाई। डॉ.अंबेडकर ने कहा था कि पत्रकारिता तार्किक ,न्यायिक पक्षपात व सनसनी खेज रहित होनी चाहिए। विशिष्ट वक्ता नीतीश कश्यप ने कहा कि अंबेडकर को जानने के लिए उन्हें पढ़ना नहीं समझना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि आज हम एक ऐसे समय में रह रहे हैं जहां हम पशु पक्षियों की तरफ भी प्रेम और सद्भावना दिखलाते हैं वहीं दूसरी तरफ अपने समान मनुष्य के साथ पशु से भी बुरा व्यवहार करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जिसके पास वेद ,पुराण ,उपनिषद जैसे महाकाव्य हैं,फिर यहां के लोगों का विवेकहीन होना शोभा नहीं देता।
उन्होने कहा कि अंबेडकर और संघर्ष दो ऐसे शब्द हैं जिन्हें अलग नहीं किया जा सकता है। समाज में एकता से ज्यादा समता की जरूरत है। कार्यक्रम में वाणिज्य विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. शिवेंद्र सिंह तथा आरएसएस के जिला प्रचारक मनु शेखर व कई शेधार्थी छात्र व छात्राएं मौजूद थे।