डोनाल्ड ट्रंप का स्पष्ट एजेंडा: भारत और इजरायल उनकी प्राथमिकता में शीर्ष पर

Donald Trump And Pm Narendra Mod

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालते ही यह साफ कर दिया है कि उनकी विदेश नीति में भारत और इजरायल शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल हैं। उनके शपथ ग्रहण समारोह में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की मौजूदगी भी इसका संकेत देती है। जयशंकर को पहली पंक्ति में बैठे देखा गया, जो भारत-अमेरिका रिश्तों की अहमियत को दर्शाता है।

पीएम नरेंद्र मोदी और बेंजामिन नेतन्याहू के दौरे की तैयारी

रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फरवरी में अमेरिका का दौरा करने वाले हैं। इसके अलावा, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी इस सप्ताह के अंत में अमेरिका जा सकते हैं। नेतन्याहू, जो हाल ही में प्रोस्टेट सर्जरी से उबरे हैं, रविवार के बाद कभी भी अमेरिका पहुंच सकते हैं। उनके इस दौरे का मुख्य उद्देश्य गाजा, लेबनान, और ईरान से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना है। नेतन्याहू का अमेरिका में दो से तीन दिन रुकने का कार्यक्रम है।

गाजा मुद्दे पर ट्रंप का सख्त रुख

डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा पट्टी के हालातों पर अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने सुझाव दिया है कि जॉर्डन और मिस्र गाजा के 15 लाख लोगों को शरण दें। उनका मानना है कि इस कदम से गाजा में स्थायित्व लाने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा, “गाजा फिलहाल मलबे के ढेर में तब्दील हो चुका है, और इसे सुधारने के लिए समय की आवश्यकता है।”

हालांकि, ट्रंप के इस प्रस्ताव का जॉर्डन और मिस्र समेत कई मुस्लिम देशों ने कड़ा विरोध किया है। मिस्र के राष्ट्रपति ने दो-टूक शब्दों में कहा कि “फिलिस्तीन फिलिस्तीनियों के लिए है, और मिस्र यहां के नागरिकों के लिए।” इस प्रतिक्रिया से यह साफ है कि ट्रंप का गाजा प्लान आसान नहीं होने वाला है।

इजरायल-अमेरिका रिश्ते को नया आयाम

गाजा और ईरान से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए ट्रंप ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को अमेरिका आमंत्रित किया है। हालांकि, नेतन्याहू के स्वास्थ्य को देखते हुए उनकी यात्रा की तारीख तय नहीं है। संभावना है कि वह रविवार को अमेरिका पहुंचकर बुधवार तक लौट सकते हैं।

भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती

डोनाल्ड ट्रंप के लिए भारत एक महत्वपूर्ण साझेदार है। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को हमेशा “मित्र” कहकर संबोधित किया है। उनके पहले कार्यकाल में भी भारत-अमेरिका संबंधों में काफी मजबूती आई थी। इस बार भी ट्रंप ने मोदी से बातचीत के संकेत दिए हैं। माना जा रहा है कि मोदी की आगामी अमेरिका यात्रा में द्विपक्षीय व्यापार और रणनीतिक सहयोग को लेकर कई बड़े निर्णय लिए जा सकते हैं।

चीन पर ट्रंप की खामोशी

गौरतलब है कि ट्रंप ने अपनी प्राथमिकताओं में भारत और इजरायल को प्रमुखता से शामिल किया है, जबकि चीन के साथ किसी बातचीत का जिक्र नहीं किया गया है। यह ट्रंप की अमेरिका-प्रथम नीति के तहत भारत और इजरायल को खास तवज्जो देने का संकेत देता है।

ट्रंप की विदेश नीति के संकेत

डोनाल्ड ट्रंप का यह रुख यह स्पष्ट करता है कि उनकी विदेश नीति सद्भावना और रणनीतिक हितों पर आधारित है। भारत और इजरायल के साथ बढ़ते रिश्ते, गाजा और ईरान जैसे संवेदनशील मुद्दों पर उनकी सक्रियता, यह दर्शाती है कि ट्रंप अपनी दूसरी पारी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका की मजबूत भूमिका स्थापित करना चाहते हैं।

नजरें आगे की योजनाओं पर

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पीएम मोदी और नेतन्याहू की यात्राओं के दौरान कौन-कौन से मुद्दों पर सहमति बनती है और गाजा व ईरान के मसले पर ट्रंप की रणनीति कैसी होगी। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ट्रंप की विदेश नीति पर करीबी नजर बनाए हुए है।