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पेरेंटिंग टिप्स: आत्मविश्वास की कमी अक्सर बच्चों को अपने विचार सबके सामने व्यक्त करने से रोकती है। तो क्या उनकी प्रतिभा को दबा दिया जाना चाहिए? मनोवैज्ञानिक और पेरेंटिंग कोच डॉ. मोना गुजराल ने अभिभावकों को कम आत्मविश्वास वाले बच्चों को समझने और उन्हें सामाजिक कौशल सिखाने की जानकारी दी।

समस्या की जड़ खोजें

आत्मविश्वास वह बुनियाद है जिस पर व्यक्ति खुद का और अपनी क्षमताओं का सम्मान करना सीखता है। कम आत्मविश्वास वाले बच्चे अक्सर आत्म-आलोचनात्मक होते हैं, असफलता से डरते हैं और चुनौतियों से दूर भागते हैं। असफलता का डर और दूसरों की सहमति के बिना कुछ न सोचने या करने की आदत आत्मविश्वास की कमी के लक्षण हैं। खुद की आलोचना करना उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है, जबकि विफलता का डर उन्हें कुछ भी करने से रोक सकता है। इन संकेतों को पहचानकर, माता-पिता बच्चे के कम आत्मसम्मान को सुधारने और आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।

ये तकनीकें उपयोगी होंगी

बच्चों में आत्मविश्वास विकसित करने के लिए माता-पिता को समस्या समाधान को प्रोत्साहित करना चाहिए, उनके प्रयासों की प्रशंसा करनी चाहिए और यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए। छोटे कदमों से शुरुआत करें और उन्हें निर्णय लेने का मौका दें, जिससे उनके निर्णयों पर उनका विश्वास बढ़ेगा। उनकी कड़ी मेहनत को पहचानें और उनकी सफलताओं की प्रशंसा करें। बड़े कार्यों को छोटे-छोटे चरणों में तोड़ें ताकि वे छोटे लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल महसूस कर सकें। ये कदम बच्चों में आत्मविश्वास पैदा करने और विकास की मानसिकता को प्रोत्साहित करने में मदद करते हैं।

घर में सकारात्मक माहौल बनाएं

घर के माहौल का बच्चों के आत्मविश्वास और आत्मसम्मान पर गहरा प्रभाव पड़ता है। मनोवैज्ञानिक इस बात पर जोर देते हैं कि एक सुरक्षित स्थान बनाना महत्वपूर्ण है जहां बच्चे बिना किसी डर के अपनी राय व्यक्त कर सकें और जोखिम लेने में सहज महसूस कर सकें। इसमें बिना शर्त प्यार, खुला संचार और सुरक्षित वातावरण में जोखिम लेने के लिए प्रोत्साहन शामिल है। बच्चों को अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करने और कठिनाइयों का सामना करने पर मदद मांगने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। बच्चों को नई चीज़ें आज़माने और चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रोत्साहित करने से घर में अधिक सकारात्मक माहौल बनता है!

इन बातों का रखें ध्यान

  • बच्चे की इतनी तारीफ न करें कि वह अति आत्मविश्वासी हो जाए।
  • बच्चे को ऐसा माहौल न दें जहां उन्हें हर फैसले के लिए दूसरों की सहमति की जरूरत पड़े।
  • बच्चे को अच्छा व्यक्तित्व बनाने के लिए असफलता का सामना करने का अभ्यास कराएं।
  • कभी भी बच्चों की तुलना किसी अन्य बच्चे से न करें।
  • केवल बड़ी सफलताओं का ही जश्न न मनाएं, बल्कि छोटी-छोटी प्रगति का भी जश्न मनाएं