पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल में अनियमितताओं को खत्म करने के लिए डॉक्टरों ने सरकार से हस्तक्षेप की मांग की

B06a95730370e4f8d4433494ab5bd975

कोलकाता, 21 नवंबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ डॉक्टरों के संगठन ज्वाइंट प्लेटफॉर्म ऑफ डॉक्टर्स (जेपीडी) ने राज्य सरकार से पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल में चल रही “अनियमितताओं” को समाप्त करने के लिए हस्तक्षेप की मांग की है।

जेपीडी के संयुक्त संयोजकों पुन्यब्रत गुन और हीरालाल कोनार ने मुख्य सचिव मनोज पंत को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए पत्र भेजा है।

डॉक्टरों के संगठन ने पत्र में दावा किया है कि डॉक्टरों के “अनैतिक” और “अमानवीय” स्थानांतरण आदेश, जो राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद (एनएमसी) के प्रावधानों के विपरीत हैं। ऐसे आदेश राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र में “धमकी संस्कृति” के पुनरुत्थान की आशंका बढ़ा रहे हैं।

संगठन ने यह भी आरोप लगाया है कि “धमकी संस्कृति” में शामिल डॉक्टरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पर राज्य स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी से पारस्परिक विश्वास में गिरावट आई है। इससे पहले उच्च प्रशासन ने स्वास्थ्य क्षेत्र के सभी हितधारकों के हित में विश्वास बहाली का वादा किया था।

इस बीच, तृणमूल कांग्रेस के दो डॉक्टर-नेताओं के बीच चल रहे विवाद ने मामले को और जटिल बना दिया है।

तृणमूल कांग्रेस विधायक और राज्य मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के सचिव नारायण स्वरूप निगम को पत्र लिखकर पूर्व राज्यसभा सांसद और तृणमूल नेता शांतनु सेन को काउंसिल के नामांकित सदस्य के पद से हटाने की मांग की है।

यह विवाद उस समय गहराया जब अगस्त में आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की एक महिला जूनियर डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के बाद सेन ने राज्य के स्वास्थ्य तंत्र के एक वर्ग पर तीखा हमला किया।

इसके बाद आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में वित्तीय अनियमितताओं की जांच के दौरान मामला और गंभीर हो गया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कॉलेज में छापेमारी की और काउंसिल अध्यक्ष के आवास और कार्यालय पर भी जांच की।

जेपीडी ने कहा कि इन घटनाओं के कारण चिकित्सा क्षेत्र में प्रशासन और डॉक्टरों के बीच आपसी विश्वास को बड़ा झटका लगा है। डॉक्टरों के इस संगठन ने मांग की है कि राज्य सरकार शीघ्र हस्तक्षेप कर इन समस्याओं का समाधान करे।