क्या आप जानते हैं कौन हैं भारत के 5 सबसे गरीब राज्य? लिस्ट देखकर आप भी चौंक जाएँगे
भारत विविधताओं वाला देश है। यहाँ सामाजिक और आर्थिक रूप से काफ़ी विविधता है। कुछ राज्यों में औद्योगिक विकास दूसरों की तुलना में ज़्यादा है। इसी वजह से उनकी आर्थिक स्थिति आँकड़ों में दिखाई देती है। लेकिन कई राज्य अभी भी काफ़ी हद तक कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था पर निर्भर हैं। ऐसे क्षेत्रों में ज़्यादा आर्थिक विकास नहीं हुआ है।

बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) रिपोर्ट (2019-21) के अनुसार, बिहार देश का सबसे गरीब राज्य है, जिसका मुख्य कारण कम औद्योगीकरण दर और कृषि पर अत्यधिक निर्भरता है। भारत के कई राज्य गरीब हैं, जिनमें से अधिकांश उत्तर और मध्य भारत में हैं।

बिहार भारत का सबसे गरीब राज्य है। यहाँ औद्योगीकरण बहुत कम है और जनसंख्या घनत्व बहुत ज़्यादा है। बिहार कृषि पर बहुत अधिक निर्भर है। इसके अलावा, हर साल आने वाली बाढ़, बुनियादी सुविधाओं का अभाव और रोज़गार के कम अवसर इस राज्य में गरीबी के प्रमुख कारण हैं। बिहार में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 59 हज़ार रुपये है।

झारखंड खनिजों से समृद्ध है। यहाँ गरीबी का मुख्य कारण उद्योगों की कमी, कमज़ोर शासन और बुनियादी ढाँचे का अभाव है। इस क्षेत्र में कई आदिवासी समुदाय रहते हैं। यहाँ शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा की कमी है। यही कुछ कारण हैं जो इस राज्य की स्थिति को और भी बदतर बनाते हैं। यहाँ प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 1 लाख रुपये प्रति वर्ष है।

उत्तर प्रदेश भारत का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। बेरोज़गारी इसके पिछड़ेपन का एक प्रमुख कारण है। यहाँ उद्योगों का विकास हो रहा है, लेकिन इसे और तेज़ करने की ज़रूरत है। 2022-23 के आँकड़ों के अनुसार, यहाँ प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 96 हज़ार रुपये है।

मध्य प्रदेश की बड़ी आबादी अभी भी कृषि पर काफी हद तक निर्भर है। लेकिन उस आबादी को पर्याप्त जल आपूर्ति नहीं मिल पा रही है। बार-बार सूखे के अलावा, पर्याप्त सिंचाई सुविधाओं का भी अभाव है। राज्य को तीव्र आर्थिक उदारीकरण और औद्योगीकरण की आवश्यकता है। 2022-23 के आंकड़ों के अनुसार, यहाँ प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 1.40 लाख रुपये है।

असम में प्राकृतिक संसाधनों की कोई कमी नहीं है। लेकिन बाढ़ और खराब बुनियादी ढाँचा इस राज्य की सबसे बड़ी समस्याएँ हैं। इसके साथ ही, यहाँ उद्योगों का विकास भी उतना नहीं हुआ है। ग्रामीण इलाकों तक अभी तक विकास पूरी तरह नहीं पहुँच पाया है। 2022-23 के आँकड़ों के अनुसार, यहाँ प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 1.12 लाख रुपये है।

छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश से अलग हुआ था। यहाँ खनिजों की कोई कमी नहीं है। लेकिन आदिवासी समुदाय के एक बड़े हिस्से तक विकास पूरी तरह नहीं पहुँच पाया है। नक्सलवाद के कारण यहाँ विकास अभी तक पूरी तरह नहीं पहुँच पाया है। यहाँ प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 1.33 लाख रुपये है।
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