बच्चों से न बोलें ये झूठ: मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकते हैं नकारात्मक प्रभाव

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बच्चों की सही परवरिश करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, खासकर जब वे छोटे होते हैं। इस दौरान माता-पिता अक्सर कई बार बच्चों से झूठ बोलते हैं। कभी-कभी यह झूठ उनकी मनपसंद चीजें दिलाने या कुछ चीजों को टालने के लिए होता है। हालांकि, बच्चों से झूठ बोलना उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। आइए जानते हैं उन झूठों के बारे में, जिन्हें आपको बच्चों से नहीं बोलना चाहिए।

1. मनपसंद चीज दिलाने का झूठा वादा

कई बार माता-पिता अपने बच्चों को उनकी पसंदीदा चीजें दिलाने का वादा करते हैं, लेकिन बाद में उसे पूरा नहीं करते। यह व्यवहार बच्चे में विश्वास की कमी पैदा कर सकता है और उन्हें अन्य लोगों पर भरोसा करने में कठिनाई हो सकती है।

2. अपनी बहादुरी की झूठी तारीफ

बच्चों के सामने अपनी बहादुरी का बखान करने से यह गलत संदेश जाता है। माता-पिता की इस आदत से बच्चे का आत्मविश्वास प्रभावित हो सकता है और वे अपनी असली भावनाओं को व्यक्त करने में हिचकिचा सकते हैं।

3. अपने बच्चों को बाकी लोगों से विशेष बताना

हालांकि हर माता-पिता अपने बच्चे को खास मानते हैं, लेकिन उन्हें अन्य बच्चों से तुलना करना और ओवरपैंपर करना नुकसानदेह हो सकता है। इससे बच्चे खुद को विशेष समझने लगते हैं और दूसरों को कमतर आंकने लगते हैं, जो आगे चलकर उनके लिए समस्या बन सकता है।

4. जल्दी पहुंचने का झूठा आश्वासन

जब आप अपने बच्चे को जल्दी पहुंचने का झूठा आश्वासन देते हैं, तो इससे उनका विश्वास डगमगाने लगता है। बच्चों के लिए यह आदत निराशाजनक हो सकती है, जिससे उनका स्वभाव चिड़चिड़ा हो सकता है।

5. काल्पनिक चीजों का डर दिखाना

कुछ माता-पिता अपने बच्चों को नियंत्रित करने के लिए उन्हें काल्पनिक चीजों से डराते हैं, जैसे चुड़ैल या बाबा। इस तरह के डर से बच्चों के मन में वास्तविक डर पैदा हो सकता है, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

इन झूठों से बचना बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। सही तरीके से संवाद करना और बच्चों को सच्चाई बताना उनकी स्वस्थ परवरिश के लिए महत्वपूर्ण है।