पैसा बैंक अकाउंट में न रखें! इन 3 कम जोखिम वाले फंड्स में मिलेगा FD से भी बेहतर और सुरक्षित रिटर्न

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क्या आपका भी अच्छा-खासा पैसा आपके बैंक के सेविंग अकाउंट में यूं ही पड़ा रहता है? अगर हाँ, तो आप अनजाने में हर दिन अपनी मेहनत की कमाई की कीमत को कम कर रहे हैं। सेविंग अकाउंट में मिलने वाला 2-3% का मामूली ब्याज, 6-7% की महंगाई दर के सामने कहीं नहीं टिकता, जिसका सीधा मतलब है कि आपका पैसा बढ़ने के बजाय घट रहा है।

तो फिर उपाय क्या है? Fixed Deposit (FD)? यह एक सुरक्षित विकल्प तो है, लेकिन अक्सर इसका रिटर्न भी महंगाई को मुश्किल से ही मात दे पाता है। ऐसे में, समझदार निवेशक उन विकल्पों की तलाश करते है जो सुरक्षित भी हों, ज़रूरत पड़ने पर आसानी से पैसा निकालने की सुविधा भी दें, और FD से बेहतर रिटर्न भी कमाकर दें।

इसी दुविधा का सबसे शानदार समाधान हैं शॉर्ट-टर्म, लो-रिस्क म्यूचुअल फंड (Short-term, Low-risk Mutual Funds)। ये वो डेट फंड्स होते है जिनका एकमात्र उद्देश्य आपके पैसे को सुरक्षित रखते हुए उस पर एक स्थिर और सम्मानजनक रिटर्न कमाना होता है। आइए, 2025 में निवेश के लिए ऐसे ही टॉप 3 प्रकार के फंड्स के बारे में विस्तार से जानते हैं।

 

सबसे पहले समझें: ये कम जोखिम वाले फंड्स क्या होते हैं?

ये इक्विटी म्यूचुअल फंड की तरह शेयर बाजार में पैसा नहीं लगाते, इसलिए इनमें बाजार का कोई उतार-चढ़ाव का खतरा नहीं होता। ये फंड्स आपका पैसा सरकार, बड़े बैंकों और टॉप-रेटेड कॉर्पोरेट कंपनियों को छोटी अवधि के लिए 'उधार' देते हैं और उस पर ब्याज कमाते हैं। इसी कमाई का एक हिस्सा आपको रिटर्न के रूप में मिलता है। क्योंकि यह उधार बहुत ही सुरक्षित संस्थानों को दिया जाता है इसलिए इनमें जोखिम लगभग न के बराबर होता है।

 

शॉर्ट-टर्म निवेश के लिए टॉप 3 कम जोखिम वाले फंड्स

अपने निवेश के लक्ष्य और समय-अवधि के अनुसार, आप इनमें से अपने लिए सबसे उपयुक्त फंड चुन सकते है:

1. लिक्विड फंड्स (Liquid Funds)

  • किसके लिए सबसे बेस्ट: उन लोगों के लिए जो अपना इमरजेंसी फंड रखना चाहते  है या जिन्हें कुछ दिनों से लेकर 3 महीने तक के लिए अपना पैसा पार्क करना है। यह सेविंग अकाउंट का सबसे बेहतरीन और स्मार्ट विकल्प है।
  • पैसा कहाँ लगता है?: यह फंड 91 दिनों से कम की मेच्योरिटी वाली सरकारी प्रतिभूतियों और कमर्शियल पेपर्स में पैसा लगाते है, जो अत्यधिक सुरक्षित माने जाते हैं।
  • रिटर्न का अनुमान: आमतौर पर इनका रिटर्न FD के बराबर या उससे थोड़ा ज़्यादा (6% से 7.5% तक) हो सकता है।
  • लिक्विडिटी (पैसा निकालने की सुविधा): आप T+1 दिन (आज रिक्वेस्ट डालें, कल पैसा खाते में) में अपना पैसा निकाल सकते है। कुछ फंड्स 'इंस्टैंट रिडेम्पशन' की सुविधा भी देते हैं, जिससे आप एक सीमा तक तुरंत पैसा निकाल सकते हैं।
  • ध्यान दें: अगर आप 7 दिन से पहले पैसा निकालते है, तो एक मामूली 'एग्जिट लोड' लग सकता ਹੈ।

2. अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स (Ultra Short Duration Funds)

  • किसके लिए सबसे बेस्ट: उन निवेशकों के लिए जिनका लक्ष्य 3 से 6 महीने का है। मान लीजिए, आपको 4 महीने बाद किसी वेकेशन पर जाना है या कार की डाउन पेमेंट करनी ਹੈ, तो आप अपना पैसा यहां रख सकते है।
  • पैसा कहाँ लगता है?: ये फंड 3 से 6 महीने की अवधि वाले डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते है।
  • रिटर्न का अनुमान: ये लिक्विड फंड्स की तुलना में थोड़ा ज़्यादा जोखिम लेते है इसलिए इनमें रिटर्न की उम्मीद भी थोड़ी ज़्यादा होती ਹੈ (आमतौर पर 7% से 8% के बीच)।
  • लिक्विडिटी: इनमें पैसा निकालने पर कोई एग्जिट लोड नहीं लगता, लेकिन लिक्विड फंड्स की तुलना में ब्याज दरों के उतार-चढ़ाव का इन पर थोड़ा ज़्यादा असर पड़ सकता है।

3. शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स (Short Duration Funds)

  • किसके लिए सबसे बेस्ट: जब आपका निवेश का लक्ष्य 1 साल से 3 साल के बीच का हो, तो यह फंड एक शानदार विकल्प है।
  • पैसा कहाँ लगता है?: ये फंड 1 से 3 साल की मेच्योरिटी वाली सिक्योरिटीज में पैसा लगाते है जिससे ये ब्याज दरों के बदलाव के प्रति थोड़े ज़्यादा संवेदनशील होते हैं।
  • रिटर्न का अनुमान: इन तीनों में सबसे ज़्यादा रिटर्न देने की क्षमता इसी कैटेगरी में होती है, जो FD को एक अच्छे मार्जिन से मात दे सकता है।
  • सलाह: इनमें तभी निवेश करें जब आप कम से कम 1 साल के लिए अपना पैसा छोड़ने को तैयार हों, ताकि आपको ब्याज दरों के छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव का कोई असर न हो।

 

निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान

  1. एक्सपेंस रेश्यो (Expense Ratio): हमेशा कम एक्सपेंस रेश्यो वाले फंड चुनें। यह फंड को मैनेज करने की सालाना फीस होती ਹੈ।
  2. क्रेडिट क्वालिटी: देखें कि फंड ने किन कंपनियों में पैसा लगाया है। हमेशा उन फंड्स को प्राथमिकता दें जो AAA या Sovereign जैसी हाई-क्वालिटी सिक्योरिटीज में निवेश करते है।
  3. टैक्सेशन: याद रखें, डेट फंड्स से होने वाला लाभ (चाहे short-term हो या long-term)  आपकी कुल आय में जोड़ा जाता है और आपके इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार उस पर टैक्स लगता है।

बैंक में पैसा रखकर उसे घटने न दें। अपनी जरूरत और लक्ष्य के अनुसार सही फंड चुनें और अपनी मेहनत की कमाई को वाकई में अपने लिए 'काम' पर लगाएं!

(अस्वीकरण: म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है। यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्य के लिए ਹੈ और इसे किसी भी प्रकार की निवेश सलाह नहीं माना जाना चाहिए। निवेश करने से पहले कृपया अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें।)

 

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