District Magistrate (DM) या जिलाधिकारी एक IAS अधिकारी होता है, जो पूरे जिले की प्रशासनिक जिम्मेदारी संभालता है। किसी जिले में डीएम से बड़ा कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं होता, जब तक कि वह जिला संभागीय मुख्यालय न हो। इस पद को पाने के लिए UPSC की सिविल सेवा परीक्षा जैसी कठिन परीक्षा को पास करना होता है।
डीएम का वेतन कितना होता है?
डीएम का वेतन उनके पद, अनुभव और वेतन आयोग की सिफारिशों पर निर्भर करता है। डीएम आमतौर पर IAS अधिकारी होते हैं और उनकी सैलरी 7वें वेतन आयोग के अनुसार तय होती है। हालांकि, सरकार अब 8वें वेतन आयोग को लागू करने की तैयारी में है।
डीएम की सैलरी का पूरा विवरण:
- बेसिक सैलरी: ₹56,100 से ₹2,50,000 प्रति माह
- ग्रेड पे: ₹16,500 (प्रारंभिक स्तर पर)
- महंगाई भत्ता (DA)
- हाउस रेंट अलाउंस (HRA)
- यातायात भत्ता: वाहन, ड्राइवर की सुविधा
- मेडिकल भत्ता: स्वास्थ्य सुविधाएं सरकार द्वारा प्रदान की जाती हैं
प्रमोशन और अप्रेजल कैसे मिलता है?
जब कोई IAS अधिकारी डीएम (जिला कलेक्टर) बनता है, तो वह लेवल 11 या उससे ऊपर के ग्रेड में होता है। हर 5-10 साल में प्रमोशन होता है और वेतन में भी वृद्धि होती है।
प्रमोशन के स्टेप्स:
- DM (जिला कलेक्टर)
- डिविजनल कमिश्नर
- सचिव (Secretary)
- मुख्य सचिव (Chief Secretary)
- कैबिनेट सचिव (Cabinet Secretary)
प्रमोशन का आधार सर्विस रिकॉर्ड, प्रदर्शन, और केंद्र या राज्य सरकार की अप्रेजल रिपोर्ट होता है। ऊँचे पदों पर पहुँचने के बाद उनका वेतन ₹2,50,000 प्रति माह तक हो सकता है।