DL New Rules: आपका ड्राइविंग लाइसेंस तभी बनेगा जब आप टेस्टिंग ट्रैक पर ड्राइविंग पास करेंगे। ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों के लिए सभी तरह के दो पहिया, तीन पहिया और चार पहिया वाहनों के लिए टेस्टिंग करना अनिवार्य होगा। सहरसा जिले में ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों के लिए यह नई व्यवस्था जल्द ही लागू होगी। इसके लिए जिले के कहरा प्रखंड के अमरपुर में ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्टिंग का कार्य किया जाएगा। टेस्टिंग ट्रैक 247 गुणा 215 जमीन में बनाया जाएगा। जिला परिवहन पदाधिकारी संजीव कुमार ने बताया कि 47 लाख 79 हजार की प्राक्कलित राशि से अमरपुर में ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्टिंग का कार्य किया जाएगा। जिसमें दो पहिया, तीन पहिया और चार पहिया वाहनों के लिए अलग-अलग टेस्टिंग ट्रैक बनाए जाएंगे। कार्यों को करने के लिए भवन निर्माण विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है। भवन निर्माण विभाग ने इस कार्य के लिए टेंडर जारी कर दिया है। ई-टेंडर से संबंधित दस्तावेज अपलोड करने की अंतिम तिथि 21 दिसंबर 2024 तय की गई है। तकनीकी बिड खोलने की तिथि 23 दिसंबर 2024 तय की गई है। टेंडर प्राप्त करने वाली एजेंसी को चार महीने के अंदर काम पूरा करना होगा।
उन्नत तकनीक से लैस होगा टेस्टिंग ट्रैक: ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक उन्नत तकनीक से लैस होगा। जिसमें टेस्टिंग के दौरान ट्रैफिक, सिग्नल, रिवर्स मोड, एक्सेस कंट्रोल, एंट्री, एग्जिट, वीडियो एनालिटिक्स तकनीक आदि आधुनिक व्यवस्थाएं होंगी।
कैमरे में रिकॉर्ड होगी पूरी परीक्षा: आवेदकों को तय समय में ट्रैक पर ड्राइविंग से संबंधित टेस्ट देना होगा। हर गतिविधि कैमरे में कैद होगी। पूरी व्यवस्था कम्प्यूटरीकृत होगी।
सड़क हादसों में कमी लाने के लिए आएगी यह व्यवस्था: डीएल जारी करने से पहले आवेदकों को ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक पर गाड़ी चलाकर टेस्ट देना होगा, जिससे सिर्फ दक्ष लोगों को ही डीएल मिल पाएगा। डीटीओ ने बताया कि सड़क हादसों में कमी लाने के उद्देश्य से ऑटोमेटेड ड्राइविंग की व्यवस्था लागू की गई है।
परीक्षण पुनः बहाल किया जा रहा है।
ड्राइविंग में होना होगा दक्ष : ऑटोमेटेड टेस्टिंग ट्रैक पर ड्राइविंग की व्यवस्था होने पर डीएल बनवाना आसान काम नहीं होगा। सबसे पहले लोगों को ड्राइविंग में दक्ष होना होगा। तभी वे ट्रैक पर कुशलता से वाहन चलाकर पास हो सकेंगे। इसके लिए लोगों को ड्राइविंग की ट्रेनिंग देने वाले स्कूल में जाकर गाड़ी चलाना सीखना होगा। खास तौर पर ट्रक, बस जैसे बड़े भारी वाहन चलाने में दक्ष चालक उपलब्ध होने से दुर्घटनाएं कम होंगी।
आवेदक वाहन चलाने में सक्षम है या नहीं, इसका परीक्षण ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर वाहन चलाकर किया जाएगा। यदि आवेदक ड्राइविंग टेस्ट में पास हो जाता है, तो उसे कंप्यूटराइज्ड ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) जारी किया जाएगा। फेल होने वाले आवेदक को दूसरा मौका मिलेगा, लेकिन उसके लिए समय अवधि तय होगी। बता दें कि वर्तमान में शहर की पुलिस लाइन में लर्निंग लाइसेंस जारी करने से पहले ड्राइविंग टेस्ट की व्यवस्था है, लेकिन यह उतना प्रभावी नहीं है।