दिवाली 2025: त्योहारों का पूरा कैलेंडर, धनतेरस से लेकर भाई दूज तक, जानिए सब कुछ

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जैसे ही मौसम बदलने लगता है और हल्की-हल्की ठंड महसूस होने लगती है, हम सबको उस एक त्योहार का इंतज़ार रहता है जो अपने साथ ढेर सारी खुशियाँ, रोशनी और उम्मीदें लेकर आता है - दीपावली। यह सिर्फ़ एक दिन का त्योहार नहीं, बल्कि पाँच दिनों का एक खूबसूरत सफ़र है, जो धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज पर खत्म होता है।

तो चलिए, डायरी और पेन निकाल लीजिए और हमारे साथ जानिए कि साल 2025 में यह त्योहारों की लड़ी कब और किस दिन आपके दरवाज़े पर दस्तक देने वाली है।

1. धनतेरस (18 अक्टूबर 2025, शनिवार): ख़रीदारी और सेहत का दिन
दिवाली की शुरुआत होती है धनतेरस से। इस दिन हम कुछ न कुछ नया ख़रीदकर घर लाते हैं, चाहें वो छोटा-सा बर्तन हो या कोई कीमती चीज़। यह दिन आयुर्वेद के देवता, भगवान धन्वंतरि को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और परिवार के लोग निरोगी रहते हैं।

  • पूजा का शुभ समय: शाम 7:16 से 8:20 बजे तक।

2. नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली (19 अक्टूबर 2025, रविवार): अँधेरे पर रोशनी की जीत का प्रतीक
दिवाली से ठीक एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाई जाती है। इसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। कहते हैं कि इस दिन घर के बाहर एक चौमुखी दिया जलाने से जीवन के सारे दुख-दर्द और नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है। उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में इसे हनुमान जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।

3. दीपावली (20 अक्टूबर 2025, सोमवार): लक्ष्मी-गणेश पूजन का महापर्व
और फिर आता है वह दिन जिसका हम सबको बेसब्री से इंतज़ार रहता है - दिवाली का दिन। अमावस्या की अँधेरी रात को हम अनगिनत दीयों की रोशनी से जगमग कर देते हैं। इस दिन ख़ास तौर पर धन की देवी माँ लक्ष्मी और बुद्धि के देवता भगवान गणेश की पूजा की जाती है, ताकि उनका आशीर्वाद हम पर पूरे साल बना रहे।

  • लक्ष्मी पूजा का शुभ समय: शाम 7:08 से 8:18 बजे तक।

4. गोवर्धन पूजा (22 अक्टूबर 2025, बुधवार): प्रकृति और परंपरा का संगम
दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है, जिसे अन्नकूट भी कहा जाता है। इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा की जाती है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि प्रकृति ही हमारी रक्षक है और हमें उसका सम्मान करना चाहिए।

5. भाई दूज (23 अक्टूबर 2025, गुरुवार): भाई-बहन के प्यार का पवित्र दिन
पाँच दिनों के इस उत्सव का अंत होता है भाई दूज के प्यारे रिश्ते के साथ। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र, अच्छी सेहत और सफलता की कामना करती हैं।

  • तिलक का शुभ समय: दोपहर 1:13 से 3:28 बजे तक।

तो इस दिवाली, इन तारीखों को याद रखें और अपने परिवार के साथ मिलकर इन त्योहारों का पूरा आनंद लें।

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