इंदौर, 22 मई (हि.स.)। संभागायुक्त दीपक सिंह ने कहा कि इंदौर संभाग के विभिन्न ज़िलों में परम्परागत हुनर से अनेक वस्तुएं बनायी जाती हैं। महेश्वरी साड़ियाँ, झाबुआ डाल और बाग प्रिंट इसके उदाहरण है। इस हुनर को कौशल विकास से जोड़ा जाए और शासन द्वारा संचालित आईटीआई में इस संबंध में प्रशिक्षण दिया जाए।
संभागायुक्त दीपक सिंह बुधवार को इंदौर संभाग में संचालित आईटीआई के प्राचार्यों की बैठक लेकर गतिविधियों की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में संयुक्त संचालक कौशल विकास डॉ. एमजी तिवारी, इंदौर आईटीआई के प्राचार्य जीएस शाजापुरकर सहित संभाग के सभी ज़िलों में स्थित आई.टी.आई. के प्राचार्य उपस्थित थे।
बैठक में बताया गया कि संभाग में कुछ आईटीआई बहुत पुराने हैं। इंदौर में आईटीआई 1956 से संचालित है। वहीं धामनोद आईटीआई 1963 में बना था। संभागायुक्त ने बैठक में इस बात पर प्रसन्नता ज़ाहिर की कि अनेक आईटीआई है जो अच्छा कार्य कर रही हैं। इंदौर के आईटीआई ने अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज में पूरे फ़र्नीचर बनाकर दिए। वहीं खंडवा आईटीआई ने जी-20 का लोगो स्क्रैप से बना कर दिया। संभाग में अनेक आईटीआई को निजी संस्थाओं की भागीदारी से भी बेहतर बनाया जा रहा है।
संभागायुक्त दीपक सिंह ने बैठक में निर्देश दिये कि आने वाले समय में सी.आई.आई. और उद्योग विभाग के साथ संयुक्त रूप से बैठक लेकर आई.टी.आई. से निकलने वाले बच्चों को विभिन्न औद्योगिक इकाइयों में संयोजित करने की राह प्रशस्त करें। बैठक में बताया गया कि सरदारपुर में स्थापित आई.टी.आई. महिलाओं के लिए संचालित है और यहाँ बड़ी संख्या में अनुसूचित जनजाति वर्ग की बालिकाएं स्किल डेवलपमेंट का कोर्स कर रही है। बैठक में बताया गया कि धार में संचालित आई.टी.आई. को ग्रीन आई.टी.आई. के रूप में विकसित किया जा रहा है।