Divine Temple : उत्तराखंड का वह दिव्य मंदिर जहाँ महाभारत के बाद पांडवों ने की थी तपस्या
- by Archana
- 2025-08-10 12:34:00
Newsindia live,Digital Desk: Divine Temple : देवभूमि उत्तराखंड में मौजूद धार्मिक स्थलों का भारतीय सनातन परंपरा में बेहद खास महत्व है इन स्थानों का संबंध धार्मिक के साथ साथ महाभारत काल की घटनाओं से भी जुड़ा है महाभारत युद्ध के बाद जब पांडव अपने पापों के प्रायश्चित के लिए दर दर भटक रहे थे तो वे उत्तराखंड के एक दिव्य मंदिर में भी पहुंचे थे मान्यता है कि यहाँ उन्होंने कठोर तपस्या की थी यह वह मंदिर है जहां पांडवों ने अपने कुकर्मों का प्रायश्चित किया था इस धार्मिक स्थल की सुंदरता भी अद्भुत है उत्तराखंड की शांत घाटियाँ और जंगल इस स्थान के वातावरण को और भी आध्यात्मिक बना देते हैं यह जगह भक्तों और पर्यटकों के लिए एक अद्भुत तीर्थस्थल है
कहाँ स्थित है यह पवित्र मंदिर यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और रुद्रप्रयाग केदारनाथ मार्ग पर उत्तराखंड में स्थित है इसे मध्य महेश्वर या मध्य महेश्वर के नाम से भी जाना जाता है इसे एक महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर माना जाता है और यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है मंदिर भगवान शिव के नाभि के हिस्से को दर्शाता है और पंच केदारों में से दूसरा मंदिर माना जाता है इसे द्वितीय केदार केदारनाथ बद्रीनाथ यमुनोत्री और गंगोत्री के चारधाम यात्रा के हिस्से के रूप में गिना जाता है महाभारत की कहानी से यह ज्ञात होता है कि यह वह स्थान है जहां पांडवों को कौरवों को हराने के बाद अपने गोत्र हत्य और अन्य गलत कामों से मुक्त होने के लिए अपनी सजा पूरी करनी पड़ी थी अपनी तीर्थयात्रा के हिस्से के रूप में वे उस जगह आए थे जहां उन्होंने अपनी पवित्र पूजा का अंतिम चरण पूरा किया था इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की गहरी आस्था और भक्ति के साथ अपने कष्टों और पापों से मुक्ति पाने के लिए लोग भगवान शिव से प्रार्थना करते हैं इस मंदिर का वातावरण आध्यात्मिक शांति से भरपूर है और इसमें एक प्राकृतिक ऊर्जा भी शामिल है जिसे यात्री अनुभव कर सकते हैं यह स्थान धर्म आध्यात्मिकता और प्राकृतिक सौंदर्य के प्रति एक महान मिश्रण है यह तीर्थयात्रियों के लिए एक आदर्श स्थान है जो मन को शांति देने वाले वातावरण की खोज में हैं मंदिर चारों ओर से ऊँचे पहाड़ों से घिरा हुआ है मंदिर तक पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को ऊबड़ खाबड़ रास्ते से पैदल यात्रा करनी पड़ती है यह चुनौतीपूर्ण यात्रा भक्तों के लिए और अधिक आस्था की भावना पैदा करती है मंदिर हर वर्ष अप्रैल से अक्टूबर के महीने के बीच खुला रहता है
इस स्थान का धार्मिक और पौराणिक महत्व इसे उत्तराखंड में एक लोकप्रिय धार्मिक स्थल बनाता है इस मंदिर के अलावा यह जगह प्राकृतिक सौंदर्य और शांत परिवेश भी प्रदान करती है इसे भारत के शीर्ष पांच पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है और हिंदू तीर्थयात्री इसके दर्शन करना पसंद करते हैं जो शांति से अपने आध्यात्मिक यात्रा को पूरा कर सकते हैं
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