जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी सुरभि श्रीवास्तव ने यूपीएसी में 56वीं रैंक हासिल

कानपुर देहात, 16 अप्रैल (हि.स.)। सच्ची सफलता का पता संघर्ष की कहानी से चलता है। इस लाइन को कानपुर देहात की जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी सुरभि श्रीवास्तव ने सही करके दिखाया है। लगातार तीन बार यूपीएससी की परीक्षा में शामिल होकर आखिरकार 2024 में सफलता हासिल कर कानपुर देहात और कानपुर नगर दोनों ही जिलों का मान और नाम बढ़ा दिया है।

कानपुर नगर की रहने वाली सुरभि श्रीवास्तव मौजूदा समय कानपुर देहात में जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी के पद पर तैनात हैं। मंगलवार को यूपीएससी का रिजल्ट आया और सुरभि ने देश में 56वीं रैंक हासिल की है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और फिर भगवान को दिया है। कल्याणपुर के रावतपुर गांव में सुरभि परिवार के साथ रहती हैं। परिवार में पिता जगदीश कुमार श्रीवास्तव, जो औरैया में खंड शिक्षा अधिकारी हैं। मां अर्चना श्रीवास्तव, छोटी बहन वैष्णवी श्रीवास्तव सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं।

इंजीनिरिंग की नौकरी छोड़कर की पढ़ाई

सुरभि ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में बताया कि उनकी हाईस्कूल तक की पढ़ाई सेंट जोसेफ स्कूल दिबियापुर से हुई है। इसके बाद इंटर की पढ़ाई डीपीएस कल्याणपुर से और फिर ग्रेजुएशन की पढ़ाई एचबीटीयू से पूरी करने के बाद 2019 में सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनकर नोएडा में जॉब करने लगी।

सुरभि ने कहा कि नोएडा में रहकर नौकरी जरूर कर रही थीं, मगर संतुष्टी नहीं थी। इसलिए 2020 में नौकरी से इस्तीफा देकर यूपीएससी की पढ़ाई करने लगी थी। 2022 यूपीटीसीएस की परीक्षा पास की और 2023 में कानपुर देहात में जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी के पद पर नौकरी लग गयी।

नौकरी के साथ-साथ पढ़ाई को मैनेज करना कठिन है

सुरभि ने कहा कि कानपुर देहात में रहकर मैंने नौकरी के साथ-साथ पढ़ाई भी की। नौकरी और पढ़ाई दोनों काम एक साथ में करना थोड़ा कठिन जरूर था, लेकिन समय को मैनेज करते हुए अपना संघर्ष जारी रखा तो सब कुछ आसान सा लगने लगा। मुझे जितनी उम्मीद थी उससे भी अच्छी रैंक हासिल हुई है। इसकी मुझे बहुत खुशी है।

हार से सीख लेकर आगे बढ़ें

सुरभि ने कहा कि कभी भी किसी चीज में हार नहीं माननी चाहिए। हार मानना कोई विकल्प नहीं होता है। यदि एक बार में सफलती नहीं मिलती है तो आपको अपनी चीजों में सुधार करने के बाद फिर से आगे बढ़ना चाहिए तो सफलता जरूर मिलेगी। जब तक आपको अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता आपको उसके लिये परिश्रम करते रहना चाहिए।