संभल की जामा मस्जिद के सामने बन रही पुलिस चौकी को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे लेकर सवाल उठाए हैं और दावा किया है कि चौकी जिस जमीन पर बनाई जा रही है, वह वक्फ की जमीन है। उन्होंने अपने दावे के समर्थन में कुछ दस्तावेज भी पेश किए। हालांकि, संभल के जिलाधिकारी (डीएम) ने ओवैसी के दावों को खारिज करते हुए जमीन को नगर पालिका की संपत्ति बताया है।
पुलिस चौकी निर्माण पर डीएम का बयान
संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने इस विवाद पर सफाई देते हुए कहा कि सत्यव्रत पुलिस चौकी का निर्माण नगर पालिका परिषद की जमीन पर हो रहा है। उन्होंने बताया,
“अब तक जितने दस्तावेज सामने आए हैं, उनमें से कोई भी वैध और प्रभावी नहीं है। ये दस्तावेज अनरजिस्टर्ड हैं। यदि कोई अन्य व्यक्ति दस्तावेज प्रस्तुत करता है, तो उनकी भी नियमानुसार जांच की जाएगी।”
डीएम ने स्पष्ट किया कि जमीन नगर पालिका के रिकॉर्ड में आबादी के नाम पर दर्ज है और यह नगर पालिका की संपत्ति है। उन्होंने यह भी कहा कि निर्माण कार्य विधिक रूप से सही है और किसी भी प्रकार के गलत दावे पर कार्रवाई की जाएगी।
ओवैसी का दावा: वक्फ बोर्ड की जमीन
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने 31 दिसंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा करते हुए दावा किया कि जिस जमीन पर पुलिस चौकी बनाई जा रही है, वह वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। उन्होंने लिखा,
“यह जमीन वक्फ नंबर 39-A, मुरादाबाद के तहत पंजीकृत है। यहां प्राचीन स्मारक अधिनियम के तहत संरक्षित स्मारक के पास निर्माण कार्य प्रतिबंधित है।”
ओवैसी ने उत्तर प्रदेश सरकार पर कानून का सम्मान न करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा,
“उत्तर प्रदेश सरकार वक्फ की जमीनों पर कब्जा करने में लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मामले में खतरनाक माहौल बना रहे हैं।”
विवाद के केंद्र में वक्फ जमीन का मुद्दा
ओवैसी ने अपने दावों के समर्थन में वक्फनामा और अन्य दस्तावेज साझा किए, जिसमें उन्होंने जमीन को वक्फ की संपत्ति बताया। AIMIM प्रमुख ने यह भी कहा कि राज्य सरकार कानूनों का उल्लंघन कर रही है और धार्मिक स्थलों के पास निर्माण कार्य पर रोक लगाने वाले प्रावधानों को नजरअंदाज कर रही है।
सरकार और प्रशासन का पक्ष
संभल प्रशासन ने ओवैसी के दावों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि चौकी का निर्माण नगर पालिका की संपत्ति पर हो रहा है। डीएम के अनुसार,
“अब तक जो दस्तावेज प्रस्तुत किए गए हैं, वे कानूनी रूप से मान्य नहीं हैं।”
नगर पालिका का दावा है कि जमीन सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है, और इसका वक्फ बोर्ड से कोई संबंध नहीं है।
ओवैसी के आरोप: राजनीतिक माहौल खराब करने का प्रयास
असदुद्दीन ओवैसी ने इस मुद्दे को धार्मिक और राजनीतिक रंग देते हुए आरोप लगाया कि पुलिस चौकी का निर्माण मुस्लिम समुदाय को डराने और विभाजनकारी राजनीति को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा,
“सरकार की मंशा साफ नहीं है। यह कदम जानबूझकर तनाव पैदा करने और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए उठाया गया है।”
आगे की राह
यह विवाद संभल में केवल जमीन के स्वामित्व का मामला नहीं है, बल्कि इसे धार्मिक और राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा है। प्रशासन और ओवैसी के आरोप-प्रत्यारोप के बीच स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
- वक्फ बोर्ड की भूमिका: वक्फ बोर्ड को इस मामले में स्थिति स्पष्ट करनी होगी।
- कानूनी प्रक्रिया: प्रशासन को दावों की पारदर्शी जांच कर विवाद का समाधान निकालना होगा।
- सामाजिक तनाव: राजनीतिक और धार्मिक नेताओं को इस मामले को भड़काने के बजाय शांति बनाए रखने के लिए प्रयास करना चाहिए।
संभल में जामा मस्जिद के सामने बन रही पुलिस चौकी अब कानूनी और राजनीतिक लड़ाई का केंद्र बन चुकी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का समाधान कैसे निकलेगा।