कर्नाटक की मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर ने भाजपा विधायक सीटी रवि पर उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का गंभीर आरोप लगाया है। हालांकि, रवि ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। मामला तब और गरम हो गया जब मंत्री ने भाजपा विधायक को चुनौती देते हुए कहा कि यदि वह अपनी बात में सच्चे हैं, तो भगवान मंजूनाथ की कसम खाकर अपनी सफाई दें।
हेब्बालकर का सीटी रवि को चैलेंज
मंगलवार को संवाददाताओं से बातचीत करते हुए हेब्बालकर ने सीटी रवि को धर्मस्थल में भगवान मंजूनाथ की कसम खाकर खुद को सही साबित करने की चुनौती दी।
- मंत्री का बयान:
“कानून को एक तरफ रखिए, कानून अपना काम करेगा। लेकिन अगर सीटी रवि भगवान में यकीन करते हैं, तो भगवान मंजूनाथ के मंदिर में कसम खाएं कि उन्होंने अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया।” - उन्होंने कहा, “मैं भी अपने परिवार के साथ वहां आऊंगी। अगर आपमें नैतिकता है, तो अपनी पत्नी के साथ मंदिर आएं और अपनी बात साबित करें।”
हेब्बालकर ने आरोप लगाया कि रवि जनता और अपनी पार्टी के नेताओं को गुमराह कर रहे हैं।
भगवान मंजूनाथ मंदिर का महत्व
दक्षिण कन्नड़ जिले में नेत्रवती नदी के तट पर स्थित भगवान मंजूनाथ का मंदिर लगभग 800 साल पुराना है।
- यह मंदिर पूरे राज्य में अपनी पवित्रता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।
- मान्यता है कि जो कोई भी भगवान मंजूनाथ के सामने झूठ बोलता है, उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं।
मामले की पृष्ठभूमि
- 19 दिसंबर 2024 को विवाद की शुरुआत:
- सीटी रवि ने विधान परिषद में लक्ष्मी हेब्बालकर के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया।
- इस घटना के बाद सदन को कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ा।
- गिरफ्तारी:
- हेब्बालकर की शिकायत पर पुलिस ने रवि को गिरफ्तार कर बेलगावी के ‘सुवर्ण विधान सौध’ से पुलिस वैन में ले जाया।
- रिहाई:
- 20 दिसंबर को कर्नाटक हाई कोर्ट ने पुलिस की प्रक्रियात्मक खामियों का हवाला देते हुए रवि को रिहा करने का आदेश दिया।
- हालांकि, अदालत ने उन्हें जांच में सहयोग करने और पूछताछ के लिए उपलब्ध रहने का निर्देश दिया।
हेब्बालकर का दावा
हेब्बालकर ने अपनी बात रखते हुए कहा कि वह भगवान के प्रति गहरी आस्था रखती हैं और उन्होंने रवि से एक बार फिर भगवान मंजूनाथ की कसम खाकर सच बोलने की अपील की।
- मंत्री का तंज:
“यह कोई चुनौती नहीं है। मैं उनसे किसी जवाब की उम्मीद भी नहीं करती, लेकिन जनता के सामने सत्य को स्पष्ट करना जरूरी है।”
विवाद के राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
यह विवाद केवल राजनीतिक गलियारों तक सीमित नहीं है, बल्कि धार्मिक और सामाजिक स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है।
- सत्ताधारी पार्टी: मामले को नैतिकता और सच्चाई की लड़ाई के रूप में पेश कर रही है।
- विपक्ष: इसे राजनीतिक साजिश और सत्ता के दुरुपयोग का उदाहरण बता रहा है।