स्वर्ण जयंती पुस्तक मेला और प्रदर्शनी में छात्र प्रतिभा का प्रदर्शन

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अखनूर, 18 अक्टूबर (हि.स.)। आर्मी पब्लिक स्कूल अखनूर द्वारा प्रबुद्ध पाठकों और विद्यार्थियों के लिए समृद्ध संदर्भ केन्द्र के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी श्रृंखला में आर्मी पब्लिक स्कूल अखनूर द्वारा दो दिवसीय स्वर्ण जयंती पुस्तक मेला और विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया जिसका शुभारंभ मुख्य अतिथि द्वारा फीता काटकर किया गया।

मेले में छात्र-छात्राओं के द्वारा निर्मित हस्तकला, अवशिष्ट पदार्थों से निर्मित वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया। इस पुस्तक मेले में छात्रों, कर्मचारियों तथा पड़ोसी स्कूलों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। आर्मी पब्लिक स्कूल में आयोजित पुस्तक मेले में विज्ञान, सामान्य ज्ञान, साहित्य, कला इत्यादि विषयों से संबधित विभिन्न पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई गई। मेले में हिंदी, अंग्रेजी साहित्य के अनेक लेखकों की पुस्तकें प्रदर्शित की गईं।

इसके अतिरिक्त अमर चित्र कथाएं, महापुरुषों की जीवनी तथा कई प्रेरणास्पद पुस्तकें प्रदर्शित की गई। इस मौके पर मुख्य अतिथि ने कहा कि इंटरनेट और सोशल मीडिया आने के बाद हर व्यक्ति में पढ़ने की आदत में कमी आई है। अब हर जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध होने के कारण विद्यार्थी किताबें पढ़ने में रूचि नहीं दिखाते जबकि पुस्तकें पढ़ना अधिक उपयोगी है। पुस्तक मेले और प्रदर्शनी जैसी गतिविधियां विद्यार्थियों में पढ़ने की आदत विकसित करने में सहायक हैं।

उन्होंने कहा कि इंटरनेट पर सर्च कर पढ़े गए कंटेंट से पुस्तक में पढ़ा हुआ कंटेंट अधिक विश्वसनीय होने के साथ ही ज्यादा समय तक याद भी रहता है। उन्होंने पुस्तक प्रदर्शनी को बहुपयोगी बताते हुए कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से काफी उपयोगी पुस्तकें उपलब्ध हैं। उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता। कड़ी मेहनत और ईमानदारी से प्रयास करें सफलता अवश्य मिलेगी। वहीं स्कूल प्रधानाचार्य ने अपने सम्बोधन के दौरान स्कूल की समग्र प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला और इस बात पर जोर देते हुए कहा कि यह प्रदर्शनी छात्रों और शिक्षक दोनों की कड़ी मेहनत और जुनून को दर्शाती है।

उन्होंने कहा कि एक विद्यार्थी के व्यक्तित्व विकास में सबसे महत्वपूर्ण योगदान हमेशा से पुस्तकों का ही रहा है। पुस्तक न केवल ज्ञान बढ़ाती है बल्कि विद्यार्थियों की सोच, उसके विचार, आचरण और चरित्र का भी सही रूप में निर्माण करती है। विद्यार्थी जीवन में ही नहीं बल्कि मनुष्य के संपूर्ण जीवन में पुस्तकों का योगदान होता है। पुस्तक ही चरित्र निर्माण का सर्वाेत्तम साधन हैं।

उन्होंने बताया कि विद्यालय में पुस्तक मेले का मकसद है कि जिस तरह आज का युवा सोशल मीडिया की तरफ तेजी से बढ़ रहा है उसे दोबारा पुस्तकों से वैसे ही जोड़ा जा सके। वहीं इस पुस्तक मेले से छात्रों को भी काफी लाभ हो रहा है क्योंकि उन्हें आसानी से जरूरत की किताबें अपने ही विद्यालय में कम दाम पर उपलब्ध हो रही हैं।