Diplomacy : कूटनीति एनएसजी संस्था की टिप्पणी के बाद भारत-स्विट्जरलैंड में तनाव, विदेश मंत्रालय ने दी चेतावनी
News India Live, Digital Desk: Diplomacy : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया पांच देशों की यात्रा के दौरान स्विट्जरलैंड के एक उच्च पदस्थ अधिकारी द्वारा की गई टिप्पणी पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इन टिप्पणियों को "गैर-जिम्मेदाराना और खेदजनक" करार देते हुए इनकी कड़ी निंदा की है।
दरअसल, एक स्विस अखबार में एक वरिष्ठ स्विस अधिकारी के हवाले से एक बयान छपा था, जिसमें कहा गया था कि भारत को परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर करने और अपने मानवाधिकार रिकॉर्ड को बेहतर बनाने के बाद ही परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) की सदस्यता मिलनी चाहिए। इस बयान ने भारत को काफी असहज किया, खासकर तब जब प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी यात्रा के दौरान स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति से मुलाकात की थी और NSG में भारत की सदस्यता के लिए समर्थन हासिल किया था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने स्पष्ट किया कि स्विट्जरलैंड का यह बयान न केवल अप्रत्याशित और अस्वीकार्य है, बल्कि यह NSG पर स्विट्जरलैंड की घोषित स्थिति के भी विपरीत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह की टिप्पणियां भारत की NSG सदस्यता की कोशिशों का राजनीतिकरण करने और उन्हें नकारात्मक रूप से प्रभावित करने का प्रयास मात्र हैं। स्वरूप ने भारत के रिकॉर्ड का बचाव करते हुए कहा कि भारत एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति है और उसने हमेशा परमाणु अप्रसार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बनाए रखी है, साथ ही अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ भी उसके संबंध अच्छे रहे हैं। मानवाधिकारों के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है जहाँ मजबूत संवैधानिक संस्थाएं हैं और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए पर्याप्त प्रावधान हैं। NSG सदस्यता को मानवाधिकारों से जोड़ना पूरी तरह से अप्रासंगिक और गैर-जरूरी है।
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब सियोल में NSG की अहम बैठक होने वाली है, जहाँ भारत की सदस्यता पर विचार किया जाएगा। भारत, जो परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग करने के अपने रिकॉर्ड का हवाला देता रहा है, NSG में अपनी जगह बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।
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