Diet Tips : क्या सफेद चावल सच में विलेन है? हार्वर्ड की डॉक्टर ने खोला आपकी रसोई का सबसे बड़ा राज

Post

News India Live, Digital Desk: सफेद चावल मत खाओ, मोटे हो जाओगे।" "दिन में जितनी चाहे कॉफी पियो, अच्छी होती है।" "ग्लूटेन तो जहर है।" - ये कुछ ऐसी बातें हैं जो हम सालों से सुनते आ रहे हैं और इन पर आंख बंद करके भरोसा भी करने लगे हैं। लेकिन क्या ये बातें वाकई सच हैं?

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की जानी-मानी न्यूट्रिशनल साइकियाट्रिस्ट (मन और पोषण की विशेषज्ञ) डॉ. उमा नायडू ने खाने-पीने से जुड़ी ऐसी ही कई गलतफहमियों का पर्दाफाश किया है। उनका कहना है कि हम बिना सोचे-समझे कई चीजों को अपनी डाइट से बाहर कर देते हैं, जबकि असल में वे उतनी बुरी होती ही नहीं।

आइए जानते हैं उन बड़े मिथकों के बारे में जिनकी सच्चाई डॉ. नायडू ने बताई है:

मिथक 1: सफेद चावल सेहत का दुश्मन है।
सच्चाई: यह सबसे बड़ा झूठ है। डॉ. नायडू कहती हैं कि सफेद चावल में फाइबर और पोषक तत्व कम होते हैं, यह सच है, लेकिन यह आसानी से पच जाता है और शरीर को तुरंत एनर्जी देता है। यह हमारी आंतों के लिए भी अच्छा है। दिक्कत चावल में नहीं, बल्कि उसे खाने की मात्रा में है। अगर आप इसे दाल और सब्जियों जैसी पौष्टिक चीजों के साथ संतुलित मात्रा में खाते हैं, तो यह बिल्कुल भी नुकसानदायक नहीं है। इसे पूरी तरह से डाइट से हटा देना एक बड़ी गलती है।

मिथक 2: कॉफी तो हर तरह से फायदेमंद है।
सच्चाई: हम कॉफी को एक 'सुपरड्रिंक' की तरह देखते हैं जो हमें जगाए रखती है और एनर्जी देती है। यह सच है कि संतुलित मात्रा में ब्लैक कॉफी के फायदे हैं, लेकिन यह हर किसी के लिए और हर समय सही नहीं होती। डॉ. नायडू चेतावनी देती हैं कि बहुत ज्यादा कॉफी पीने से बेचैनी (Anxiety) बढ़ सकती है, नींद का पैटर्न खराब हो सकता है और दिल की धड़कन तेज हो सकती है। यह शरीर में तनाव पैदा करने वाले हार्मोन 'कोर्टिसोल' को भी बढ़ा सकती है। इसलिए कॉफी को दोस्त समझिए, पर एक लिमिट में।

मिथक 3: हर किसी को ग्लूटेन-फ्री खाना चाहिए।
सच्चाई: ग्लूटेन-फ्री आजकल एक फैशन ट्रेंड बन गया है। बहुत से लोग सोचते हैं कि ग्लूटेन (जो गेहूं, जौ, राई में पाया जाता है) छोड़ने से वे स्वस्थ रहेंगे। डॉ. नायडू कहती हैं कि ग्लूटेन सिर्फ उन लोगों के लिए हानिकारक है जिन्हें 'सीलिएक डिजीज' (Celiac Disease) या ग्लूटेन सेंसिटिविटी की समस्या है। बाकी लोगों के लिए इसे छोड़ने का कोई मतलब नहीं है। असल में, कई ग्लूटेन-फ्री पैकेट वाले प्रोडक्ट्स में पोषण की कमी होती है और उनमें शुगर और फैट ज्यादा हो सकता है।

मिथक 4: MSG (अजीनोमोटो) सेहत के लिए खतरनाक है।
सच्चाई: MSG को अक्सर चाइनीज खाने से जोड़कर देखा जाता है और सिरदर्द से लेकर कई समस्याओं का कारण माना जाता है। डॉ. नायडू के अनुसार, दशकों की रिसर्च के बाद भी ऐसा कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला है जो यह साबित कर सके कि MSG सेहत के लिए खतरनाक है। बहुत ही कम लोगों को इससे हल्की-फुल्की सेंसिटिविटी हो सकती है, लेकिन ज्यादातर लोगों के लिए यह पूरी तरह सुरक्षित है।

तो अगली बार जब कोई आपको आपके सफेद चावल की प्लेट देखकर टोके, तो आप उन्हें यह सच्चाई बता सकते हैं। सेहतमंद रहने का राज किसी चीज को पूरी तरह छोड़ने में नहीं, बल्कि हर चीज को संतुलित मात्रा में खाने में है।

--Advertisement--