Dharali : उत्तराखंड बाढ़ पीड़ित पांच हजार के चेक से नाराज ग्रामीणों ने कहा यह तो उपहास है

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Newsindia live,Digital Desk: उत्तरकाशी धराली यहां के बाढ़ प्रभावित गांवों में सरकार की ओर से पांच हजार रुपये के मुआवजे का चेक मिलना शुरू हो गया है लेकिन लोग इसे नाममात्र की राशि बताकर लेने से हिचक रहे हैं ग्रामीणों का कहना है कि जब उनकी लाखों रुपये की संपत्ति बर्बाद हो गई है तो पांच हजार रुपये से कुछ नहीं होने वाला इससे अच्छा तो कोई मुआवजा ही नहीं दिया जाता कम से कम इससे हमारा उपहास तो नहीं उड़ता ग्रामीणों को सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है कुछ दिन पहले बादल फटने से यहां हाहाकार मच गया था जिससे यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ा और सड़कों व मकानों को भारी नुकसान हुआ जिससे चारधाम यात्रा भी बाधित हुई यहां का धराली हर्षिल नेशनल हाईवे बंद है

पिछले दिनों बारिश की वजह से मचे कोहराम और धराली से हर्षिल के बीच करीब एक किलोमीटर के एरिया में यमुना और गंगा का जल स्तर काफी बढ़ गया था इस दौरान गंगोत्री धाम को जोड़ने वाली गंगोत्री नेशनल हाईवे पर बड़े वाहन नहीं चल पा रहे थे सिर्फ छोटे वाहन जैसे एंबुलेंस ही सड़क के उस हिस्से से आर पार हो रहे थे हालांकि छोटे वाहनों को भी खतरे के चलते यहां बहुत तेजी से चलाया जा रहा था आपदा में करीब सौ से डेढ़ सौ घर टूट गए या क्षतिग्रस्त हो गए जबकि तीन दर्जन दुकानें भी टूट गईं करीब सवा पांच बजे यहां बिजली बहाल की गई उत्तरकाशी जिले के बगोरी और धराली में भी लगातार राहत और बचाव अभियान जारी है बिजली पानी आपूर्ति भी बाधित हुई है

जिला प्रशासन और पुलिस आपदा प्रभावित लोगों को राशन वितरण का कार्य कर रहे हैं मुख्यमंत्री धामी भी मंगलवार को यहां प्रभावित गांवों का दौरा कर राहत की समीक्षा करेंगे इस दौरान उन्होंने धराली पहुंचकर प्रभावित गांवों का स्थलीय निरीक्षण किया और राहत और बचाव कार्य तेज करने का आदेश दिया एनडीआरएफ की टीमें भी रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई हैं और उन्होंने करीब नौ सौ से अधिक लोगों को बचाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है मौके पर डीएम अभिषेक रूहेला पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी सहित कई विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे धराली की प्रधान विजय रावत ने बताया कि यहां सौ से अधिक ग्रामीण हैं जिनको सरकार की तरफ से चेक वितरित किए गए हैं लेकिन मुआवजे की धनराशि बहुत कम है जिससे ग्रामीणों में निराशा का भाव है

इस प्राकृतिक आपदा में हमारे करोड़ों रुपये के मकान दुकान फसल और पशु नष्ट हो गए जबकि चेक सिर्फ पांच हजार रुपये का है उन्होंने कहा इससे बड़ा क्या उपहास हो सकता है जब हम सरकार से एक बेहतर सहायता की उम्मीद कर रहे थे तब हमें इतनी छोटी राशि से ही संतुष्ट किया जा रहा है ग्रामीणों की उम्मीदों को निराशा में बदल दिया गया जिससे गांव वाले नाखुश हैं अभी तक खाने पीने के इंतजाम सही नहीं है और बाहर का रास्ता बंद है ग्रामीणों ने अपील की है कि उनके खाने पीने और ठहरने के लिए उचित इंतजाम किए जाएं सरकार को हमारी परेशानियों पर ध्यान देना चाहिए और हमें उचित मुआवजा देना चाहिए जिससे हमारी जिंदगी पटरी पर आ सके

 

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