धमतरी : डूबान प्रभावितों के पुर्नव्यस्थापन सर्वे के बिना लटका

धमतरी, 6 मई (हि.स.)। जिला प्रशासन की लेटलतीफी के चलते गंगरेल डूबान प्रभावितों के व्यस्थापन का कार्य रूक गया है। छह मई सोमवार को एसडीएम कार्यालय में इस मामले में पेशी हुई, जिसमें बड़ी संख्या में डूब प्रभावित लोग पहुंचे। शासन द्वारा किसी भी प्रकार के मुआवजा एवं पुर्नवास के संबंध में प्रभावितों से जानकारी मांगी गई तो प्रभावितों ने बताया कि बांध बनने के बाद से उन्हें और उनके परिवार को अभी तक न मुआवजा मिला है और न ही कही व्यस्थापन दिया गया है।

डूबान प्रभावितों ने बताया कि हाई कोर्ट ने तीन माह के भीतर व्यस्थापन देने के आदेश दिए थे। बीते एक वर्ष से जिला प्रशासन द्वारा ग्राम जोगीडीह में सर्वे कर प्रभावितों को बसाने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन यह प्रक्रिया अब लटकते नजर आ रही है, क्योंकि अभी तक सर्वे का कार्य पूरा नही हो सका है। इस मामले को लेकर गंगरेल डूबान प्रभावित जनकल्याण समिति बड़ा आंदोलन करने की तैयारी में थी, लेकिन लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लगने के कारण यह आंदोलन स्थगित किया गया है।

उन्होंने कहा यदि आगे इस पर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो समिति कड़ा रूख अपना सकती है। समिति के कार्यकारी अध्यक्ष हरिशंकर मरकाम ने बताया कि पूवर्जाे के नाम पर स्थित भूमि का भू-अर्जन शासन द्वारा पडित रविशंकर शुक्ल जलाशय परियोजना के अंर्तगत गंगरेल बांध के लिए किया गया है, जिसमे आवेदकों का व्यवस्थापन अब तक नहीं हो पाया है। वर्ष 2004-05 एवं 2008 के बीच 170 परिवारों को ग्राम जोगीडीह में बसाया गया, लेकिन बाकी डूबान प्रभावितों को नहीं बसाया गया। जिसके कारण गंगरेल बांध डूब प्रभावित जनकल्याण समिति द्वारा डूब प्रभावितों को भूमि आवंटन के आशय से उच्च न्यायालय छग के समक्ष रिपीटीशन पूर्व में प्रस्तुत किया गया था, जिसका निर्णय 2012 मे हुआ, किन्तु राज्य प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।

इस सबंध में आत्माराम व अन्य 49 व्यक्तियों द्वारा उच्च न्यायालय छग के समक्ष रिपीटीशन प्रस्तुत किया गया था। दोनों रिपीटीशन पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय छग द्वारा 16 दिसंबर 2020 को आदेश पारित किया गया कि आदेश की प्राप्ति के तीन माह के भीतर सक्षम अधिकारी जांच प्रारंभ कर पात्र गंगरेल बांध डूब प्रभावितों को भूमि आबंटित करे। लगभग तीन वर्ष पश्चात भी उच्च न्यायालय छग द्वारा पारित आदेश के परिपालन में सक्षम प्राधिकारी द्वारा भूमि आवंटन के संबंध में डूब प्रभावितों को कोई राहत प्रदान नहीं की गई है।

सुनवाई में आत्माराम धु्रव, पंडोराम मंडावी, महराजी राम धु्रव, पुष्कर सोरी, घनश्याम मरकाम, कृपाराम सिन्हा, सहदेव साहू, जयकुमार सेन, मूलक राम सिन्हा, कुंवर सिंग निषाद, प्रताप धु्रव, चित्ररेखा ध्रुव, राधिका बाई पटेल व बड़ी संख्या में डूबान प्रभावित उपस्थित थे।