देहरादून, 29 जून (हि.स.)। एक जुलाई से लागू होने वाले तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम के संबंध में पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के समक्ष प्रस्तुतीकरण दिया। विस्तारपूर्वक नए कानूनों की आवश्यकता, इन्हें बनाने के लिए किए गए प्रयासों और इनकी विशेषताओं के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड पुलिस हस्तपुस्तिका का विमोचन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नए कानूनों में जो प्राविधान किए गए हैं, इन कानूनों के लागू होने के बाद प्रदेश में इनका सही तरीके से क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। इन कानूनों की जानकारी के लिए प्रशिक्षण की पर्याप्त व्यवस्था की जाए और आमजन को इन कानूनों की जानकारी हो। इसके लिए विभिन्न माध्यमों से कानूनों का प्रचार-प्रसार किया जाए और सूचना विभाग का सहयोग लिया जाए।
बहुत जटिल थे पूर्व के कानून, कठिन था न्याय
पुलिस महानिदेशक ने नए कानूनों की आवश्यकता के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पूर्व के कानून बहुत जटिल थे, जिसके कारण भारतीय नागरिकों को न्याय पाना एवं आवाज उठाना कठिन था। संहिता का उद्देश्य ब्रिटिश शासन को बढ़ावा देना तथा भारतीय नागरिकों का दमन करना था। पूर्ववर्ती कानूनों के फलस्वरूप न्यायालय में लंबित मामलों की बड़ी संख्या, दोष सिद्धि की कम दर, पीड़ित की असंतुष्टि एवं अपराधी पर अपूर्ण कार्यवाही रहा। इसी के मद्देनजर नए कानून बनाने की आवश्यकता महसूस की गई। 25 दिसंबर 2023 को नए आपराधिक कानूनों के बिल को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली थी।
पुलिस महानिदेशक ने बताया कि देश में एक जुलाई 2024 से इन्हें लागू किया जाएगा। कानून के गठन के लिए 18 राज्य, छह केंद्र शासित प्रदेश, सुप्रीम कोर्ट, 16 उच्च न्यायाधीशों, पांच न्यायिक अकादमियों, 22 कानून विवि, 142 संसद सदस्यों, लगभग 270 विधायकों को जनता के सुझावों के आधार पर चार वर्ष में गहन परीक्षण कर इन्हें तैयार किया गया है। नए कानूनों का तीन मुख्य तथ्यों न्याय, समानता एवं निष्पक्षता को केंद्रित कर गठन किया गया है। भारतीय न्याय सहिंता 2023 में कुल 358 धाराएं होंगी। जबकि वर्तमान कानून में यह 511 हैं, जिसमें 21 नई धाराओं को जोड़ा गया है। 41 धाराओं में सजा बढ़ाया गया है। 82 धाराओं में जुर्माना बढ़ाया गया है। 25 धाराओं में न्यूनतम सजा का प्राविधान, छह धाराओं में सामुदायिक अपराधों को जोड़ा गया है एवं 19 धाराओं को हटाया गया है। वहीं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में 531 धाराएं होंगी। जबकि वर्तमान कानून में यह 484 है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में कुल 170 धाराएं हैं। वर्तमान कानून में 166 धाराएं हैं।
अधिक अधिकार और शीघ्र न्याय के साथ अधिक जवाबदेह बनाने पर जोर
पुलिस महानिदेशक ने बताया कि नए कानून पीड़ित को अधिक अधिकार प्रदान करने के साथ शीघ्र न्याय, आपराधिक न्याय विंग प्रणाली के सभी विंग को अधिक जवाबदेह बनाने पर जोर देता है। राज्य में नए कानूनों को लागू करने के लिए छह कमेटियों का गठन किया गया है, जिनमें जनशक्ति, प्रशिक्षण, इंफ्रास्ट्रक्चर, सीसीटीएनएस, राज्य में लागू एक्ट में नए कानून के अंतर्गत परिवर्तन व जागरूक समिति शामिल हैं। नए कानूनों के लागू होने पर राज्य में लागू अधिनियमों में आवश्यक संशोधन प्रस्तावित है, जिनमें उत्तराखंड राज्य के कुल 434 स्थानीय अधिनियमों का अवलोकन कर 74 अधिनियमों में संशोधन के प्रस्ताव के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश के 343 अधिनियमों का अवलोकन कर 116 अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव एवं केंद्र के कुल 228 अधिनियमों का अवलोकन कर संशोधन का प्रस्ताव है। उन्होंने जानकारी दी कि भारतीय न्याय संहिता की कुछ धाराओं में बदलाव किए गए हैं।
इस दौरान मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, सचिव दिलीप जावलकर, चंद्रेश यादव, एडीजी अमित कुमार सिन्हा, एपी अंशुमान, आईजी विम्मी सचदेवा, केवल खुराना, विमला गुंज्याल, विशेष सचिव रिद्धिम अग्रवाल आदि थे।