Deputy Chief Minister's big Allegation : सलवा जुडूम का फैसला नक्सलियों के फायदे में, जस्टिस रेड्डी ने दी घोटालों को क्लीन चिट
News India Live, Digital Desk: Deputy Chief Minister's big Allegation : छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार, रिटायर्ड जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को उनके एक पुराने फैसले को लेकर आड़े हाथों लिया है. साव का आरोप है कि सलवा जुडूम से जुड़ा जस्टिस रेड्डी का फैसला नक्सलवादियों के लिए फायदेमंद साबित हुआ था
दरअसल, जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी ने हाल ही में उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल किया है और वो इंडिया गठबंधन के साझा उम्मीदवार हैं. उनके नाम की घोषणा के बाद से ही उनके पुराने न्यायिक फैसलों पर सियासी बयानबाजी तेज़ हो गई है. उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने एक बयान में कहा कि जस्टिस रेड्डी की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 2011 में सलवा जुडूम को असंवैधानिक करार दिया था उनका कहना है कि इस फैसले से छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई कमजोर पड़ गई थी, जिससे नक्सलवादियों को काफी फायदा मिला.
साव ने जस्टिस रेड्डी पर ये भी आरोप लगाया कि उन्होंने केवीपी रामचंद्र राव जैसे घोटालों के आरोपियों को भी 'क्लीन चिट' दे दी थी, जो भ्रष्टाचार के मामलों में नामज़द थे.
उपमुख्यमंत्री अरुण साव यहीं नहीं रुके, उन्होंने सीधे कांग्रेस को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि विपक्ष (कांग्रेस) नक्सलियों को हराने और आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि विपक्ष नक्सलियों का पक्ष ले रहा है. यह पहला मौका नहीं है, जब सलवा जुडूम के फैसले को लेकर किसी न्यायिक अधिकारी को राजनीति में घसीटा गया हो. इससे पहले भी अमित शाह ने सुदर्शन रेड्डी पर उनके सलवा जुडूम के फैसले को लेकर हमला किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर ऐसा फैसला न आया होता तो नक्सलवाद बहुत पहले खत्म हो चुका होता
सलवा जुडूम की बात करें तो यह छत्तीसगढ़ में स्थानीय आदिवासियों का एक समूह था, जिसे नक्सलवाद से लड़ने के लिए बनाया गया था, लेकिन मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे बंद करने का आदेश दिया था. अब जस्टिस रेड्डी की उम्मीदवारी ने एक बार फिर इस मुद्दे को गरमा दिया है.
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