सतना, 7 मार्च (हि.स.)। मां शारदा की नगरी मैहर में प्रति वर्ष होने वाले ख्याति लब्ध बाबा उस्ताद अलाउद्दीन खां समारोह की शुरुआत गुरुवार देर शाम बाबा द्वारा बनाए गए वाद्ययंत्र नल तरंग के वाद्यवृंद वादन से हुई। समारोह का शुभारंभ पर्यटन एवं संस्कृति राज्यमंत्री धर्मेन्द्र सिंह लोधी ने बाबा उस्ताद अलाउद्दीन खां और उनके सुपुत्र अकबर अली खां के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया। इस मौके पर पशुपालन एवं डेयरी विभाग राज्यमंत्री लखन पटेल, सांसद गणेश सिंह, विधायक श्रीकांत चतुर्वेदी, कलेक्टर रानी बाटड, पुलिस अधीक्षक सुधीर अग्रवाल, संतोष सोनी, कमलेश सुहाने, रमेश पाण्डेय, बम बम महाराज भी उपस्थित थे।
मैहर में तीन दिवसीय 49वें उस्ताद अलाउद्दीन खां समारोह के शुभारंभ अवसर पर राज्यमंत्री धर्मेन्द्र लोधी ने कहा कि अगले वर्ष आयोजित होने वाले 50वें उस्ताद अलाउद्दीन खां समारोह को संस्कृति विभाग अर्द्ध शताब्दी के समारोह को वैश्विक रूप में आयोजित करेगा। जिसकी गूंज संगीत जगत में विश्वव्यापी होगी।
उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में मैहर के बाबा अलाउद्दीन खां 20वीं शदी के ऐसे कला साधक थे, जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई ऊचांइयां प्रदान की। उन्होंने जो संगीत का मार्ग तैयार किया उस पर चलकर शिष्यों ने नई ऊंचाइयों को छूआ। यह हमारे मध्यप्रदेश का सौभाग्य है कि मां शारदा की छत्र छाया में बाबा अलाउद्दीन खां ने मैहर को साधना स्थली बनाया।
उन्होंने कहा कि बाबा अलाउद्दीन खां वास्तव में संगीतकार और सुर साधक के साथ विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। उन्होंने भारतीय परंपरा के सार तत्व गुरू-शिष्य परंपरा को सिद्धता से निभाया। जिसके फलस्वरूप हमें भारत रत्न पण्डित रविशंकर, पद्म विभूषण उस्ताद अली अकबर खां, हरिप्रकाश चौरसिया, पन्नालाल घोष और बीजी जोग जैसे महान संगीतज्ञ मिले। संस्कृति मंत्री लोधी ने कहा कि मैहर में मां शारदा लोक का निर्माण और स्थानीय जनों की मांग पर संगीत विश्वविद्यालय की स्थापना के प्रयास किये जाएंगे।
कार्यक्रम को सांसद गणेश सिंह और विधायक श्रीकांत चतुर्वेदी ने भी संबोधित किया। इसके पूर्व सभी अतिथियों ने मदीना भवन जाकर बाबा उस्ताद अलाउद्दीन खां के मकबरे पर चादर पोषी की रस्म अदाकर श्रंद्धाजलि अर्पित की। तीन दिवसीय उस्ताद अलाउद्दीन खां समारोह की शुरूआत मैहर वाद्य वृन्द के वादन से हुआ। इसके उपरांत मुंबई की सोनिया परचुरे एवं साथी कलाकारों द्वारा कथक नृत्य, इंदौर के गौतम काले द्वारा गायन, गाजियाबाद के अजय पी. झा द्वारा मोहन वीणा, गिरीडीह के केड़िया बंधु द्वारा सितार-सरोद की जुगलबंदी की प्रस्तुतियां दी गई।