नई दिल्ली, 9 अगस्त (हि.स.)। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और बिहार सहित कई राज्यों के लोकतंत्र सेनानियों ने ‘फ्रीडम फाइटर’ का दर्जा दिये जाने की मांग को लेकर शुक्रवार को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया।
वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई एमरजेंसी के दौरान जिन लोगों को जेल की हवा खानी पड़ी थी, उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘लोकतंत्र सेनानी’ का दर्जा दिया हुआ है। लोकतंत्र सेनानी कल्याण परिषद के बैनर तले इन लोगों ने ‘फ्रीडम फाइटर’ का दर्जा दिये जाने सहित अपनी कई मांगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के नाम ज्ञापन भी सौंपा।
परिषद के अध्यक्ष नवल किशोर मिश्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने मीसा बंदियों को फ्रीडम फाइटर एक्ट के तहत लोकतंत्र सेनानी का दर्जा दिया है। अब मोदी सरकार ने 25 जून को हर वर्ष संविधान की हत्या के दिवस के रूप में मनाने और आपातकाल को आजादी की दूसरी लड़ाई का महत्व देने का ऐलान किया है। ऐसे में लोकतंत्र सेनानियों को तुरंत ‘फ्रीडम फाइटर’ का दर्जा दिया जाना चाहिए।
परिषद के महासचिव रमेश राघव ने कहा कि कई राज्य सरकारें अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं। ऐसे में केंद्र सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए इन लोगों के फ्रीडम फाइटर का दर्जा देते हुए गोल्डन आयुष्मान कार्ड और एक सहयोगी के साथ मुफ्त रेलवे यात्रा सुविधा की घोषणा की जानी चाहिए। इसके साथ ही लोकतंत्र सेनानी स्मारक की स्थापना के साथ आपतकाल के विरुद्ध संघर्ष को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।
लोकतंत्र सेनानी कल्याण परिषद के अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि रज्जू भैया जैसे महान लोगों ने आपातकाल के दौरान अनेक लोगों के साथ भूमिगत रहते हुए आपातकाल के विरोध संघर्ष को नई ऊर्जा दी थी। इसी दौरान तत्कालीन सरकार ने आंदोलन को कुचलने के लिए हजारों की संख्या में लोगों को जेलों में ठूंस दिया था।
इस मौके पर प्रमुख रूप से मशहूर समाज सुधारक बजरंग मुनि, रामेश्वर सिंह, दीपचंद शर्मा, बलवंत सिंह निडर, जगन्नाथ शहाणे, अवधूत जोशी, शीतल अग्रवाल, हरिवंश सिंह, दयाराम, रामाश्रय दीक्षित, चंद्रेश्वर भारती, रमजान अली, रवि बंसल, राजेंद्र अटल, राजन धींगरा, महाबीर भारद्वाज सहित कई लोगों ने धरने पर बैठे लोगों को संबोधित किया।