तमिलनाडु और पुदुचेरी की बार काउंसिल ने मुख्य न्यायाधीश (CJI) और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के जजों को पत्र लिखकर मद्रास हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति और पदोन्नति में अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिमों, ईसाइयों और समाज के अन्य वंचित वर्गों के उम्मीदवारों पर विचार करने की अपील की है। काउंसिल ने इस प्रक्रिया में कानूनी कौशल, ईमानदारी और बुद्धिमत्ता को प्राथमिकता देने की सिफारिश की है ताकि न्यायपालिका में सामाजिक-आर्थिक न्याय और विविधता को सुनिश्चित किया जा सके।
बार काउंसिल की अपील: न्यायपालिका में विविधता की अहमियत
चिट्ठी में कहा गया है कि लोकतंत्र का आधार यह है कि नियुक्तियों और पदोन्नति में समाज के सभी वर्गों को समान अवसर मिलना चाहिए। इसमें जाति, धर्म, लिंग, क्षेत्र, या किसी अन्य आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। बार काउंसिल ने सुझाव दिया कि न्यायपालिका में सामाजिक विविधता सुनिश्चित करने के लिए, योग्य और अनुभवी वकीलों का चयन किया जाए जो सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व कर सकें।
परिवारवाद पर रोक लगाने की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम न्यायिक नियुक्तियों में पारिवारिक प्रभाव को रोकने के लिए एक प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। यह प्रस्ताव सिफारिश करता है कि हाई कोर्ट कॉलेजियम ऐसे उम्मीदवारों के नाम देने से बचे जिनके माता-पिता या करीबी रिश्तेदार वर्तमान या पूर्व में सुप्रीम कोर्ट या उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश रह चुके हैं।
यह पहल पहली पीढ़ी के वकीलों के लिए अवसर बढ़ाने और संवैधानिक अदालतों में व्यापक समुदायों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम है। हालांकि, इस प्रस्ताव से कुछ योग्य उम्मीदवार प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन इसका उद्देश्य न्यायपालिका में समावेशिता को बढ़ावा देना है।
न्यायिक नियुक्तियों में नई प्रक्रिया
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायिक अधिकारियों और वकीलों के साथ व्यक्तिगत संवाद शुरू किया है, जिनके नाम उच्च न्यायालयों में पदोन्नति के लिए सिफारिश किए गए हैं। यह पारंपरिक प्रक्रिया से अलग है, जिसमें बायोडाटा, लिखित आकलन और खुफिया रिपोर्ट पर निर्भरता होती थी।
22 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक में राजस्थान, उत्तराखंड, बंबई और इलाहाबाद उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए छह नामों की सिफारिश की गई थी। इस पहल का उद्देश्य न्यायपालिका में अधिक समावेशिता और पारदर्शिता लाना है।