केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि मंदिर मुख्य रूप से एक पूजा स्थल है और इसका इस्तेमाल फिल्म शूटिंग के स्थान के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। त्रिपुनिथुरा श्री पूर्णत्रयेसा मंदिर में एक फिल्म की शूटिंग के लिए दी गई मंजूरी को चुनौती देने वाली याचिका दायर करने के बाद उच्च न्यायालय ने उपरोक्त टिप्पणी की।
अदालत ने व्यावसायिक फिल्मांकन के कारण होने वाले संभावित अनादर की ओर इशारा करते हुए धार्मिक स्थानों की पवित्रता बनाए रखने के महत्व को भी दोहराया। गौरतलब है कि कोर्ट में दायर याचिका में मंदिर परिसर में एक गैर-धार्मिक फिल्म की शूटिंग की इजाजत देने के औचित्य पर सवाल उठाया गया है. यह तर्क दिया गया कि इस तरह की गतिविधि से पूजा की पवित्रता का उल्लंघन होता है और भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचने का भी खतरा होता है, याचिका में विशिष्ट घटनाओं पर भी प्रकाश डाला गया है, जिसमें कहा गया है कि त्योहारी सीजन के दौरान महावतों द्वारा शराब पीने और मंदिर में प्रवेश करने की घटनाओं पर रोक लगाई गई थी सैंडल पहनने का मामला सामने आया है. इससे इन स्थानों से जुड़ी पारंपरिक श्रद्धा कम हो गई है।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा
अदालत ने याचिका दायर करते हुए राज्य सरकार और कोचीन देवासम बोर्ड दोनों से पवित्र स्थल के अंदर फिल्म की शूटिंग की अनुमति देने के अपने फैसले के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है, जिसमें संबंधित मंदिर भी शामिल है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि मंदिरों में ऐसी अनुमति देना हिंदू मंदिर नियमों का उल्लंघन है।