दिल्ली में नए मुख्यमंत्री को लेकर 11 दिनों से चल रहा सस्पेंस आखिरकार बुधवार को खत्म हो गया। शालीमार बाग से पहली बार विधायक बनीं रेखा गुप्ता को भाजपा विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से नेता चुना गया है। रेखा गुप्ता का नाम भाजपा विधायक प्रवेश वर्मा, विजेंद्र गुप्ता और सतीश उपाध्याय ने प्रस्तावित किया, जबकि राजकुमार चौहान, आशीष सूद और मनजिंदर सिंह सिरसा ने उनके प्रस्ताव को मंजूरी दी। इस तरह रेखा गुप्ता के नाम पर मुख्यमंत्री पद के लिए मुहर लग गई और अब दिल्ली की सत्ता की बागडोर उनके हाथों में होगी। सुषमा-शीला-आतिशी के बाद अब दिल्ली में रेखा की सरकार बनेगी।
रेखा गुप्ता से पहले सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं।
रेखा गुप्ता दिल्ली की 9वीं मुख्यमंत्री और दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री होंगी। रेखा गुप्ता से पहले सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। भाजपा ने एक बार फिर महिला शक्ति पर भरोसा जताया है, लेकिन सवाल यह उठता है कि कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और भाजपा को दिल्ली में महिला मुख्यमंत्री क्यों पसंद हैं।
सुषमा-शीला-आतिशी और अब रेखा सरकार
दिल्ली के राजनीतिक इतिहास में सत्ता की बागडोर लंबे समय से महिलाओं के हाथों में रही है। केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में विधान सभा की बहाली के बाद 1993 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए। भाजपा भारी बहुमत के साथ सत्ता में आई और मदन लाल खुराना मुख्यमंत्री बने। खुराना केवल तीन साल तक ही मुख्यमंत्री रह सके और उनकी जगह साहिब सिंह वर्मा को मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई में उन्होंने 1998 के विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दी।
साहिब सिंह वर्मा के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद भाजपा ने सत्ता की बागडोर सुषमा स्वराज को सौंप दी।
साहिब सिंह वर्मा के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद भाजपा ने सत्ता की बागडोर सुषमा स्वराज को सौंप दी। 12 अक्टूबर 1998 को सुषमा स्वराज ने दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। हालाँकि, जब दो महीने बाद विधानसभा चुनाव हुए तो भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस सत्ता में वापसी करने में सफल रही। प्याज की महंगाई से भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
शीला सरकार ने 15 साल तक दिल्ली पर शासन किया।
1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई और शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं। शीला दीक्षित दिल्ली की दूसरी महिला मुख्यमंत्री बनीं। इसके बाद कांग्रेस ने लगातार 15 साल तक दिल्ली पर शासन किया और इस दौरान सत्ता की बागडोर शीला दीक्षित के हाथों में रही। कांग्रेस ने 1998, 2003 और 2008 के विधानसभा चुनाव शीला दीक्षित के नेतृत्व में लड़े और जीत दर्ज करने में सफल रही। शीला सरकार के दौरान हुए विकास कार्यों, मेट्रो परियोजनाओं और औद्योगिक क्षेत्र में मजदूर वर्ग को बढ़ावा देने के कारण कांग्रेस को इन दोनों चुनावों में भारी जीत मिली थी।
आतिशी ने संभाली केजरीवाल की विरासत
अन्ना आंदोलन से उभरी आम आदमी पार्टी ने 11 साल तक दिल्ली पर शासन किया। 2013 में केजरीवाल कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली के सीएम बने, लेकिन उसके बाद 2015 और 2020 के चुनावों में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने भारी बहुमत हासिल कर नया इतिहास रच दिया। इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की सत्ता की बागडोर संभाली, लेकिन तथाकथित शराब घोटाले में जेल जाने के बाद उनकी राजनीतिक लोकप्रियता में तेजी से गिरावट आई। यही वजह थी कि जेल से रिहा होने के बाद 17 सितंबर 2024 को अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी राजनीतिक विरासत आतिशी को सौंप दी। आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनीं। आतिशी 152 दिनों तक दिल्ली की सीएम की कुर्सी पर रहीं।
अब से दिल्ली में रेखा गुप्ता की सरकार
भाजपा ने 2025 का विधानसभा चुनाव भारी बहुमत से जीता। इस प्रकार जब भाजपा 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में लौटी तो पार्टी ने छात्र राजनीति से आई रेखा गुप्ता को सत्ता की बागडोर सौंपी। रेखा गुप्ता पहली बार शालीमार बाग से विधायक चुनी गई हैं, लेकिन वह तीन बार पार्षद रह चुकी हैं और डीयू छात्र संघ की महासचिव रह चुकी हैं। शालीमार बाग से दो बार विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी भाजपा ने रेखा गुप्ता पर भरोसा जताया और उन्हें तीसरी बार मैदान में उतारा। इस बार वह पार्टी की उम्मीदों पर खरी उतरीं और विधायक चुनी गईं और उनकी किस्मत भी चमक गई।