नई दिल्ली, 07 मार्च (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा के दौरान राष्ट्रगान गाने का दबाव बनाने के लिए पांच मुस्लिम युवकों की पिटाई करने के मामले में दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा है कि वो फॉरेंसिक रिपोर्ट के लिए लंबे समय तक इंतजार नहीं कर सकती है। जस्टिस अनूप जयराम भांभानी की बेंच ने इस मामले में तीन अप्रैल को इन-चैंबर सुनवाई करने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ने कहा कि नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी गुजरात के यहां से कुछ वीडियो फुटेज के फॉरेंसिक रिपोर्ट आने बाकी है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कोर्ट गुजरात में चल रहे फॉरेंसिक जांच पर रोक लगा सकती है। कोर्ट फॉरेंसिक रिपोर्ट के लिए अंतहीन इंतजार नहीं कर सकती है। इसके लिए कुछ समय तय होना चाहिए। फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार पिछले दस महीने से किया जा रहा है, आखिर ये इंतजार कब खत्म होगा। पहले दिल्ली से फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा था और अब गुजरात से।
इसके पहले कोर्ट ने मुस्लिम युवकों की पिटाई करने वाले पुलिसकर्मियों की पहचान कर जांच करने के मामले में लचर जांच पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि मृतक युवक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चोट की संख्या हिरासत में लिए जाते समय बने एमएलसी में दर्ज चोट की संख्या से कैसे बढ़ गए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि इस मामले की स्टेटस रिपोर्ट न तो कोर्ट में दाखिल की गई है और न ही पुलिस के पास है। कोर्ट ने कहा था कि पुलिस जांच रिपोर्ट में कई गड़बड़ियां हैं। पांच युवकों में एक की मौत हो गई लेकिन चार तो जिंदा हैं। क्या जिंदा बचे युवकों से उन पुलिसकर्मियों की पहचान कराई गई। आप पूरी दुनिया की जांच करेंगे लेकिन चश्मदीद गवाह से कोई पूछताछ नहीं करेंगे। आपने उन चार युवकों का बयान दर्ज करने की जहमत तक नहीं उठाई। ये किस किस्म की जांच है।
दरअसल सोशल मीडिया पर जन-गण-मन नामक एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें पांच मुस्लिम युवकों को पुलिसकर्मी घेरे हुए हैं और उनसे राष्ट्रगान गाने के लिए दबाव बना रहे हैं। ये युवक जमीन पर असहाय रूप ये लेटे हुए हैं और पुलिस उनके साथ मारपीट कर रही है। फैजान नामक युवक को 24 फरवरी 2020 को पुलिस ने गिरफ्तार किया था और उसे 25 फरवरी 2020 को काफी नाजुक स्थिति में छोड़ा था। उसे एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां उसकी 26 फरवरी 2020 को मौत हो गई।
याचिका फैजान की मां ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि 25-26 फरवरी 2020 की दरम्यानी रात को फैजान ने अपनी मां किस्मातुन को बताया था कि उसे पुलिस ने प्रताड़ित किया था और उसकी खूब पिटाई की गई थी। याचिका में कहा गया है कि फैजान को ज्योति नगर पुलिस थाने में गैरकानूनी हिरासत में रखा गया था और उसे इलाज उपलब्ध करने से इनकार कर दिया गया था। जब उसकी स्थिति खराब होने लगी और पुलिस को लगा कि वह नहीं बच पाएगा तो उसे छोड़ा गया।
याचिका में कहा गया है कि इस मामले में हत्या का केस दर्ज किया गया लेकिन जांच में पुलिसकर्मियों को बचाने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में इस मामले की जांच कोर्ट की निगरानी में की जाए। इसके लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष टीम गठित की जाए, जो फैजान की हिरासत में मौत की जांच करें। इस जांच की समय-समय पर रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने का दिशानिर्देश जारी किया जाए।