जून 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने दर्जी कनैयालाल की हत्या के मामले का जिक्र किया, जिन्हें राजस्थान के उदयपुर में एक दुकान के अंदर जिहादी तत्वों ने बंधक बना लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही, जिसमें गोरक्षकों द्वारा हत्याओं समेत अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ बढ़ती मॉब लिंचिंग पर रोक लगाने के साथ-साथ ऐसी हिंसा के पीड़ितों के परिवारों को अंतरिम वित्तीय सहायता देने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने कनैयालाल की हत्या का जिक्र करते हुए याचिकाकर्ता के वकील से ऐसे मामलों को पेश करते समय चयनात्मक नहीं होने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने वकील से पूछा कि राजस्थान के दर्जी कनैयालाल के बारे में क्या? जिसके जवाब में वकील निज़ाम पाशा ने माना कि हां अर्जी में इसका जिक्र नहीं था. कोर्ट ने कहा कि जब सभी राज्य हैं तो आप चयनात्मक नहीं हो सकते. पूर्व बीजेपी प्रवक्ता नुपूर शर्मा के समर्थन में पोस्ट करने पर कनैयालाल की बेरहमी से हत्या कर दी गई. जिसके बाद मामले में गुजरात की ओर से पेश वकील ने कहा कि यह जनहित याचिका केवल मुस्लिमों की लिंचिंग की घटनाओं को उजागर करती है. वरिष्ठ वकील अर्चना पाठक दवे ने कहा कि ये सिर्फ मुसलमानों की मॉब लिंचिंग का मामला है. उन्होंने सवाल उठाया कि यह इतना चयनात्मक कैसे हो सकता है। राज्य को सभी समुदायों के लोगों की रक्षा करनी चाहिए। जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि अगर ये सभी राज्यों का मामला है. हाँ, आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह चयनात्मक नहीं है। जिसके ख़िलाफ़ वकील पाशा ने दलील दी कि इस तरह से केवल मुसलमानों को ही मारा गया है और ये एक सच्चाई है. जैन के खिलाफ जस्टिस गवई ने कहा, कृपया अदालत के समक्ष अपनी प्रस्तुति में सावधानी बरतें। कोर्ट ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई ग्रीष्मावकाश के बाद तक के लिए स्थगित कर दी है.