दिल्ली: भारत 2028 तक एक ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बन जाएगा

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सरकार की डिजिटल पहल से पिछले कुछ वर्षों में भारत के वित्तीय इको-सिस्टम में बड़ा बदलाव आया है। आस्क कैपिटल की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि सुदूर इलाकों तक इंटरनेट पहुंच, कुशल और किफायती 4जी-5जी सेवाओं और डिजिटल क्षेत्र में सरकारी पहल के साथ भारत 2028 तक एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।

जब डिजिटल भुगतान की बात आती है तो भारत एक वैश्विक उदाहरण बन गया है, जिसे यूपीआई जैसे घरेलू प्रौद्योगिकी नवाचारों से लाभ मिल रहा है। भारत का डिजिटल परिवर्तन आर्थिक विकास के लिए गेम चेंजर साबित होगा। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण के साथ-साथ स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग ने कैशलेस लेनदेन और ऑनलाइन शॉपिंग को बढ़ावा दिया है।

डिजिटलीकरण में जापान ब्रिटेन, जर्मनी से आगे

इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस (आईसीआरआईईआर) के अनुसार, डिजिटलीकरण के सभी स्तरों पर भारत का डिजिटल कौशल स्कोर जापान, यूनाइटेड किंगडम और जर्मनी जैसे विकसित देशों से आगे निकल गया है। प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) जैसी सरकारी पहलों ने देश में सार्वभौमिक पहुंच और वित्तीय समावेशन को बढ़ाने में मदद की है। मोबाइल और ब्रॉडबैंड पहुंच बढ़ने से वित्तीय समावेशन का विस्तार होगा और नई डिजिटल सेवाओं को प्रोत्साहन मिलेगा।

भारत में लगभग 120 करोड़ दूरसंचार ग्राहक

भारत में डिजिटल मनोरंजन, ऑनलाइन शिक्षा, टेली-मेडिसिन, डिजिटल स्वास्थ्य, आपदा प्रतिक्रिया और जीवन रक्षक सेवाएं बेहतर मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं का लाभ उठा रही हैं। उचित मूल्य वाला डेटा, स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं की बढ़ती संख्या और ई-कॉमर्स में वृद्धि भारत के डिजिटल परिवर्तन को गति दे रही है। ट्राई के मार्च 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में करीब 120 करोड़ दूरसंचार ग्राहक हैं। इंटरनेट ग्राहकों की कुल संख्या मार्च 2023 में 88.1 करोड़ से बढ़कर मार्च 2024 के अंत तक 95.4 करोड़ हो गई है। इनमें से लगभग आधे ग्राहक ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। पिछले एक साल में 7.3 करोड़ से अधिक इंटरनेट ग्राहक और 7.7 करोड़ से अधिक ब्रॉडबैंड ग्राहक जुड़े हैं।