दिल्ली हाई कोर्ट ने एक पारिवारिक संपत्ति विवाद के मामले में गुरुवार को अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी मुस्लिम व्यक्ति से शादी करने मात्र से कोई हिंदू महिला स्वचालित रूप से इस्लाम धर्म में परिवर्तित नहीं हो जाती। जस्टिस जसमीत सिंह ने यह टिप्पणी एक संपत्ति विवाद की सुनवाई करते हुए की।
यह मामला एक महिला पुष्पलता द्वारा दायर किया गया था, जिसमें उसने अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा मांगा था। अदालत ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उसे संपत्ति का 1/5वां हिस्सा देने का आदेश दिया।
मामले की पृष्ठभूमि
पुष्पलता, जो पिता की पहली पत्नी की सबसे बड़ी बेटी है, ने 2007 में अपनी सौतेली मां के बेटों के खिलाफ संपत्ति विवाद का मुकदमा दायर किया था। विवाद पिता की संयुक्त संपत्ति को लेकर था, जिसे सौतेले भाई बेचने की कोशिश कर रहे थे।
पुष्पलता का दावा
पुष्पलता ने कहा कि उनके पिता ने दूसरी शादी की थी और उनकी संपत्ति हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 के तहत बंटनी चाहिए। उसने और उसकी बहनों ने संपत्ति में 1/5 हिस्से का दावा किया।
प्रतिवादी का तर्क
सौतेले भाइयों ने यह तर्क दिया कि पुष्पलता ने यूनाइटेड किंगडम में एक पाकिस्तानी मूल के मुस्लिम व्यक्ति से शादी कर ली है। इसलिए, वह अब हिंदू नहीं है और हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत संपत्ति के हिस्से का दावा नहीं कर सकती।
अदालत की टिप्पणी और फैसला
अदालत ने प्रतिवादियों के तर्क को खारिज करते हुए कहा:
- “किसी मुस्लिम व्यक्ति से शादी करने मात्र से हिंदू धर्म से इस्लाम में स्वचालित रूप से धर्मांतरण नहीं हो जाता।”
- अदालत ने यह भी कहा कि प्रतिवादियों के पास कोई ठोस सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि पुष्पलता ने इस्लाम धर्म अपना लिया है।
महिला ने दिया हलफनामा
पुष्पलता ने हलफनामे के माध्यम से स्पष्ट किया कि मुस्लिम व्यक्ति से विवाह करने के बावजूद वह हिंदू धर्म का पालन करती है। अदालत ने इसे स्वीकार करते हुए कहा कि केवल विवाह के आधार पर धर्मांतरण का दावा नहीं किया जा सकता।
संपत्ति विवाद में महिला का अधिकार
- कोर्ट ने कहा कि पुष्पलता और उसकी बहनों को पिता की संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिलेगा।
- पुष्पलता को अपने हिस्से का 1/5वां भाग और पीपीएफ खाते में जमा राशि में से 1/4 हिस्सा दिया जाएगा।
जज का बयान
जस्टिस जसमीत सिंह ने अपने आदेश में लिखा:
“धर्म परिवर्तन का दावा साबित करने के लिए प्रतिवादियों के पास कोई ठोस सबूत नहीं है। बिना सबूत केवल विवाह के आधार पर धर्मांतरण का निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता।”