नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन की बेटी आराध्या बच्चन से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में गूगल और अन्य कुछ वेबसाइटों को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस आराध्या बच्चन की सेहत से जुड़ी फेक रिपोर्टिंग और भ्रामक वीडियो को हटाने की मांग को लेकर जारी किया गया है।
आराध्या, जो अभी नाबालिग हैं, उन्होंने कोर्ट में यह मामला दायर किया था, जिसमें उन्होंने फर्जी खबरें फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए गूगल समेत अन्य वेबसाइटों को स्पष्टीकरण देने के लिए नोटिस भेजा है।
इंटरनेट पर फैल रही थी गलत जानकारी
आराध्या बच्चन को लेकर कुछ यूट्यूब चैनलों और वेबसाइटों पर गुमराह करने वाली और झूठी खबरें फैलाई जा रही थीं। इन फेक वीडियो में उनकी सेहत को लेकर झूठे दावे किए गए थे।
अप्रैल 2023 में, अमिताभ बच्चन की पोती आराध्या बच्चन ने अपने माता-पिता की मदद से कोर्ट में केस दर्ज करवाया था। शिकायत में दावा किया गया था कि कुछ यूट्यूब चैनल और वेबसाइटें उनकी सेहत को लेकर भ्रामक खबरें फैला रही हैं।
हाई कोर्ट ने तब एक अंतरिम आदेश जारी कर उन सभी फर्जी वीडियो को हटाने का निर्देश दिया था। साथ ही, कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह सेलिब्रिटी हो या आम नागरिक, उसकी गरिमा और गोपनीयता का सम्मान किया जाना चाहिए, विशेष रूप से जब मामला उसकी शारीरिक या मानसिक सेहत से जुड़ा हो।
गूगल को दिए गए सख्त निर्देश
हाई कोर्ट ने गूगल को निर्देश दिया था कि वह त्वरित प्रभाव से इन फेक वीडियो और भ्रामक कंटेंट को डिएक्टिवेट करे। हालांकि, कुछ वेबसाइटों ने इस आदेश का पालन नहीं किया। इस वजह से अब आराध्या बच्चन ने दोबारा कोर्ट का रुख किया और एक नई याचिका दाखिल की है।
कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए गूगल और अन्य वेबसाइटों को दोबारा नोटिस जारी किया है।
मामले पर अगली सुनवाई 17 मार्च को
इस मामले की अगली सुनवाई 17 मार्च को होगी। कोर्ट अब यह सुनिश्चित करेगा कि आराध्या बच्चन से जुड़ी झूठी खबरें और फेक वीडियो पूरी तरह से इंटरनेट से हटाए जाएं।
आराध्या बच्चन: बॉलीवुड की सबसे चहेती स्टार किड
आराध्या बच्चन, जो बॉलीवुड के दिग्गज परिवार से ताल्लुक रखती हैं, हमेशा मीडिया की सुर्खियों में रहती हैं। हालांकि, कई बार उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का भी सामना करना पड़ता है।
इस मामले के जरिए यह एक बार फिर साबित हो गया कि इंटरनेट पर फैलाई जा रही झूठी खबरें किसी भी व्यक्ति की प्रतिष्ठा और मानसिक शांति को प्रभावित कर सकती हैं। अब देखना होगा कि कोर्ट इस मामले पर क्या अंतिम फैसला लेता है।