दिल्ली के आगामी चुनावों में इंडिया गठबंधन में दरारें साफ दिखाई दे रही हैं। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली में उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) का समर्थन करेगी। उन्होंने यह फैसला भाजपा को हराने की रणनीति के तहत लिया है।
अखिलेश यादव का बड़ा बयान
एबीपी न्यूज से बात करते हुए अखिलेश यादव ने कहा:
- “दिल्ली में आम आदमी पार्टी को समर्थन देंगे।”
- “कांग्रेस का साथ नहीं देंगे क्योंकि दिल्ली में भाजपा को हराने की ताकत आप में है।”
- “जो भाजपा को हराएगा, सपा उसका साथ देगी।”
यह बयान इस बात की पुष्टि करता है कि इंडिया गठबंधन का उद्देश्य राष्ट्रीय राजनीति तक सीमित हो सकता है, लेकिन दिल्ली में यह गठबंधन पूरी तरह से बिखर चुका है।
आप और सपा का गठबंधन
- पिछले महीने अखिलेश यादव ने दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के साथ मंच साझा किया था।
- इस कदम से पहले ही अटकलें लगाई जा रही थीं कि सपा दिल्ली में आप का समर्थन कर सकती है।
- अब इस बयान के साथ अखिलेश ने आधिकारिक तौर पर दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की घोषणा कर दी है।
कांग्रेस ने उठाए सवाल
अखिलेश के इस फैसले के बाद कांग्रेस के नेता नाराजगी जता रहे हैं।
- संदीप दीक्षित ने कहा:
- “अगर अखिलेश यादव ने आप का समर्थन किया, तो सपा के वोटर कांग्रेस को ही वोट करेंगे।”
- उन्होंने दावा किया कि अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट से चुनाव हार सकते हैं।
आप और कांग्रेस का जटिल रिश्ता
आप और कांग्रेस के रिश्ते में हमेशा कन्फ्यूजन रहा है।
- लोकसभा चुनावों में दोनों ने पंजाब में अलग-अलग लड़ा।
- दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, और असम में दोनों पार्टियों ने गठबंधन किया।
- हरियाणा विधानसभा चुनाव में दोनों ने फिर अलग-अलग चुनाव लड़ा।
- अब दिल्ली में भी दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं।
यह स्पष्ट है कि दिल्ली चुनाव ने इंडिया गठबंधन को दो हिस्सों में बांट दिया है।
दिल्ली में इंडिया गठबंधन का भविष्य
अखिलेश यादव के इस फैसले के बाद इंडिया गठबंधन का प्रभाव दिल्ली में कमजोर होता दिख रहा है।
- आप और कांग्रेस के बीच मतभेद इस बात का संकेत हैं कि गठबंधन का उद्देश्य केवल भाजपा के खिलाफ एकजुटता तक सीमित रह गया है।
- दिल्ली में अलग-अलग रणनीतियों के चलते गठबंधन में विभाजन साफ नजर आ रहा है।
दिल्ली चुनाव का असर
- आप बनाम कांग्रेस:
- दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अलग-अलग लड़ रही हैं।
- इससे भाजपा को अप्रत्यक्ष लाभ मिल सकता है।
- इंडिया गठबंधन की स्थिति:
- गठबंधन का कमजोर होना राष्ट्रीय स्तर पर भी इसके प्रभाव को कम कर सकता है।
- चुनाव परिणाम:
- 8 फरवरी के नतीजे तय करेंगे कि अखिलेश का यह फैसला कितना असरदार साबित होता है।