दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) ने पुजारियों और ग्रंथियों को लेकर बड़ा ऐलान किया है। AAP सरकार, जो पिछले एक दशक से इमामों को वेतन देती रही है, ने अब घोषणा की है कि यदि वे फिर से सत्ता में आती हैं तो दिल्ली के मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को हर महीने ₹18,000 की सम्मान राशि दी जाएगी।
हालांकि, इस घोषणा ने राजनीतिक घमासान को और तेज कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने AAP के इस वादे को चुनावी जाल बताते हुए अरविंद केजरीवाल पर जोरदार हमला किया और मांग की कि पहले पिछले 10 साल का एरियर पुजारियों और ग्रंथियों को दिया जाए।
BJP का हमला: “पहले एरियर दो, फिर वादे करो”
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने AAP सरकार पर निशाना साधते हुए इसे हिंदू और सिख समुदायों के प्रति द्वेषपूर्ण राजनीति का हिस्सा बताया।
- गिरिराज सिंह का बयान:
“केजरीवाल सरकार ने 10 साल तक पुजारियों और ग्रंथियों को नजरअंदाज किया। अब चुनाव के समय उन्हें ठगने का नया नाटक शुरू किया है।”
- एक्स पर वीडियो संदेश:
गिरिराज सिंह ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा:“10 साल तक इमामों को वेतन दिया गया, लेकिन हिंदू और सिखों को दोयम दर्जे का नागरिक समझा गया। अगर आप में हिम्मत है, तो अगले कैबिनेट में 10 साल का एरियर पास कर पुजारियों और ग्रंथियों को दें।”
“रंग बदलने में माहिर केजरीवाल”: गिरिराज सिंह
गिरिराज सिंह ने अरविंद केजरीवाल की धार्मिक राजनीति पर तंज कसते हुए कहा:
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“केजरीवाल जी, आप तो गिरगिट से भी ज्यादा रंग बदलते हैं। कभी हनुमान जी के भक्त बनते हैं, तो कभी खुदा के। यह तो आपका पुराना इतिहास है।”
- महिलाओं को लेकर भी निशाना:
“पहले महिलाओं को ‘बुरबक’ बनाया, अब पुजारियों और ग्रंथियों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर सही में इरादा है, तो 10 साल का एरियर दीजिए।”
AAP की घोषणा पर BJP की प्रतिक्रिया
- BJP ने AAP सरकार की घोषणा को नकली सेक्युलरिज्म करार दिया।
- BJP का सवाल:
“जब पिछले 10 साल में इमामों को वेतन दिया जा रहा था, तब पुजारियों और ग्रंथियों को क्यों नजरअंदाज किया गया?”
- BJP का सुझाव:
AAP को पुजारियों और ग्रंथियों को एकमुश्त एरियर देना चाहिए।
चुनावी चाल या गंभीर पहल?
AAP सरकार का यह ऐलान ऐसे समय पर आया है जब दिल्ली में चुनाव नजदीक हैं।
- AAP का रुख:
AAP ने इसे धार्मिक समुदायों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का हिस्सा बताया। - BJP का रुख:
BJP ने इसे चुनावी फायदे के लिए हिंदू और सिख समुदायों को झूठे वादों में उलझाने की कोशिश बताया।