दिल्ली विधानसभा चुनाव: ‘आप’ और भाजपा के बीच आरोपों की जंग तेज

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दिल्ली में विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच तीखी बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। ‘आप’ ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि भाजपा नेताओं ने मतदाताओं को खरीदने के लिए पैसे भेजे, लेकिन उसमें भी भ्रष्टाचार किया।

‘आप’ का भाजपा पर गंभीर आरोप
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह दावा किया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने हर मतदाता को 10-10 हजार रुपये देने का निर्देश दिया था, लेकिन उनके नेताओं ने इसमें से 9 हजार रुपये अपनी जेब में रख लिए और मात्र 1,000 रुपये ही वोटर्स तक पहुंचाए।

संजय सिंह ने भाजपा को “गाली-गलौच पार्टी” कहते हुए कटाक्ष किया और कहा,

“दिल्ली के कई इलाकों में चर्चा है कि भाजपा ने वोट खरीदने के लिए 1,100-1,100 रुपये बांटे। पर जब हमने पड़ताल की तो पता चला कि भाजपा नेताओं को 10-10 हजार रुपये बांटने के लिए दिए गए थे। लेकिन नेताओं ने सोच लिया कि चुनाव हारना तय है, तो क्यों न पैसे अपनी जेब में डाल लिए जाएं। उन्होंने 9 हजार रुपये खुद रख लिए और 1,100 रुपये ही बांटने शुरू कर दिए।”

भ्रष्टाचार का नया तरीका अपनाने का आरोप
संजय सिंह ने दावा किया कि भाजपा ने अपने नेताओं को वोट खरीदने के लिए पैसे भेजे थे, लेकिन उन्होंने खुद को आर्थिक लाभ पहुंचाने का तरीका निकाल लिया। उन्होंने कहा,

“हम भाजपा से यह सवाल पूछना चाहते हैं कि दिल्ली और देश की जनता को सच क्यों नहीं बताते? ये 10-10 हजार रुपये जो वोटर्स के लिए भेजे गए थे, उनके 9 हजार रुपये कहां गए? क्या यह घोटाला नहीं है?”

दिल्ली की जनता को संदेश
संजय सिंह ने मतदाताओं से अपील की कि यदि भाजपा के नेता वोट मांगने के लिए आएं, तो उनसे सवाल करें:

“जो 10 हजार रुपये आपके नेताओं ने भेजे थे, उनमें से 9 हजार रुपये कहां गए? पहले उन 9 हजार रुपये का हिसाब दो। दिल्ली की जनता को भाजपा के इस भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करना होगा।”

मंत्री सौरभ भारद्वाज का समर्थन
दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भी इस मुद्दे पर संजय सिंह का समर्थन करते हुए कहा कि यह भ्रष्टाचार भाजपा के असली चेहरे को उजागर करता है। उन्होंने मतदाताओं से जागरूक होने और इस तरह की साजिशों का विरोध करने की अपील की।

चुनाव के दौरान दोनों दलों के बीच इस तरह की आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति ने चुनावी माहौल को और गरमा दिया है। जनता को अब यह तय करना होगा कि वे किसके पक्ष में खड़े हैं और किसे सत्ता सौंपते हैं।