दिल्ली विधानसभा चुनाव: सत्तारूढ़ ‘आप’, भाजपा और कांग्रेस के बीच घमासान, स्विंग वोटर्स पर टिकी निगाहें

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दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच जोरदार मुकाबला चल रहा है। तीनों ही दल जनता को लुभाने के लिए महिला, झुग्गी-बस्ती, मिडिल क्लास और युवा मतदाताओं को अपनी ओर खींचने की कोशिश में लगे हैं। दिल्ली के 1.55 करोड़ मतदाता यह तय करेंगे कि अगले पांच साल राजधानी में सत्ता की बागडोर किसके हाथ में होगी। हालांकि, चुनावी समीकरणों की असली चाबी उन 15% स्विंग वोटर्स के पास है, जो कभी पीएम मोदी तो कभी अरविंद केजरीवाल के पक्ष में जाते हैं।

स्विंग वोटर्स की अहम भूमिका

  • पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों के परिणाम बताते हैं कि दिल्ली में 15% स्विंग वोटर्स का बड़ा वर्ग है।
  • ये मतदाता कभी झाड़ू का बटन दबाते हैं तो कभी कमल के निशान को चुनते हैं।
  • भाजपा की चुनौती है कि इन वोटर्स को अपने पाले में बनाए रखे।
  • वहीं, ‘आप’ इन्हें अपने पक्ष में खींचने की रणनीति पर काम कर रही है, जैसा कि उसने 2019 लोकसभा चुनाव के बाद 2020 विधानसभा चुनाव में किया था।

कैसे बदलता रहा है वोटिंग ट्रेंड?

  • 2020 विधानसभा चुनाव:
    • ‘आप’ को 54% वोट शेयर मिला।
    • भाजपा को 38% वोट शेयर।
    • कांग्रेस केवल 4% वोट शेयर तक सिमट गई।
  • 2019 लोकसभा चुनाव:
    • भाजपा को 54% से ज्यादा वोट।
    • आप को 24% वोट।
    • कांग्रेस को 19% वोट।

विश्लेषण:
दिल्ली के कई वोटर केंद्र की राजनीति में मोदी को बेहतर मानते हैं और राज्य में ‘आप’ की मुफ्त योजनाओं को प्राथमिकता देते हैं।

भाजपा की रणनीति: स्विंग वोटर्स को रोकने की कोशिश

  • भाजपा 26 साल से दिल्ली की सत्ता से बाहर है।
  • पार्टी को पता है कि सत्ता में वापसी के लिए स्विंग वोटर्स को अपने पक्ष में बनाए रखना जरूरी है।
  • भाजपा के मुद्दे:
    • शीशमहल (आप सरकार के कथित फिजूलखर्ची)।
    • गंदा पानी और टूटी सड़कें।
    • यमुना का प्रदूषण।
  • पीएम मोदी का दांव:
    • मुफ्त योजनाओं के लिए केजरीवाल को वोट देने वालों को साधने के लिए मोदी ने वादा किया है कि भाजपा सरकार भी इन योजनाओं को जारी रखेगी।

‘आप’ का चुनावी एजेंडा

  • ‘आप’ ने सभी 70 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।
  • केजरीवाल का फोकस:
    • मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य पर।
    • महिला और झुग्गी-बस्ती के मतदाताओं को लुभाने पर।
    • युवाओं और मिडिल क्लास के लिए रोजगार और अन्य सुविधाओं का वादा।

कांग्रेस की चुनौतियां

  • कांग्रेस ने अब तक 48 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है।
  • पार्टी के लिए अपनी खोई हुई जमीन वापस पाना कठिन हो सकता है।
  • फोकस:
    • पारंपरिक कांग्रेस समर्थकों को फिर से जोड़ने पर।
    • भाजपा और ‘आप’ के बीच की लड़ाई में अपने लिए जगह बनाने पर।

क्या कहती है रणनीति?

  • अगर भाजपा 10% स्विंग वोटर्स को रोकने में कामयाब रही, तो चुनावी नतीजे भाजपा के पक्ष में जा सकते हैं।
  • ‘आप’ की कोशिश रहेगी कि वह अपने 2020 के वोट शेयर को बनाए रखे और झुग्गी-बस्तियों, महिलाओं और मिडिल क्लास का विश्वास फिर से जीते।