
तकनीक जब अत्यधिक उन्नत हो जाती है, तो वह संभावित रूप से एक बड़ा खतरा भी बन सकती है। इस खतरे को अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जोड़ा जा रहा है। गूगल से जुड़े DEEPMIND ने AI को लेकर एक गंभीर अलर्ट जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि 2030 तक AI मानवता के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।
DEEPMIND के विशेषज्ञों का मानना है कि अगले 10 वर्षों में AI इंसानों से भी ज्यादा स्मार्ट हो सकता है। अगर ऐसा हुआ तो AI जानबूझकर या अनजाने में ऐसी गलतियाँ कर सकता है, जो इंसानों को जीवन के विभिन्न पहलुओं में भ्रमित कर सकती हैं या नुकसान भी पहुँचा सकती हैं। इसी चिंता के कारण DEEPMIND ने यह अपील की है कि संयुक्त राष्ट्र की तर्ज पर एक अंतरराष्ट्रीय संस्था बनानी चाहिए, जो दुनिया भर में AI के विकास की निगरानी करे।
क्या AI इंसानों को पीछे छोड़ सकता है?
यह चेतावनी एक प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान द्वारा दी गई है, इसलिए इसे नज़रअंदाज़ करना मुश्किल है। लेकिन क्या वास्तव में AI उस स्तर तक विकसित हो सकता है कि वह इंसानों से भी ज्यादा बुद्धिमान हो जाए? यह सवाल हम उन विशेषज्ञों से पूछते हैं जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को समझते हैं।
AI के प्रभाव का एक उदाहरण: कोर्ट में AI द्वारा पेश की गई गवाही
AI के संभावित खतरों का एक उदाहरण न्यूयॉर्क की एक अदालत से सामने आया। दरअसल, एक व्यक्ति जीरोम ने कोर्ट में अपनी अपील पेश की और कहा कि वह वीडियो के माध्यम से अपनी बात रखना चाहता है। लेकिन जो वीडियो उसने पेश किया, वह असल में उसका AI द्वारा बनाया गया था, यानी यह गवाही एक AI से तैयार की गई थी।
पहली नज़र में किसी को भी यह शक नहीं हुआ कि यह वीडियो AI से बना हुआ था, लेकिन जब जज ने वीडियो की वास्तविकता के बारे में पूछा, तो जीरोम ने स्वीकार किया कि यह वीडियो AI द्वारा निर्मित है। इसके बाद अदालत ने उस वीडियो को मुकदमे से हटा दिया। यह घटना यह दर्शाती है कि AI के जरिए बनाए गए वीडियो और गवाहियाँ इतनी प्रामाणिक दिख सकती हैं कि पहली बार में इंसान भी उन्हें पहचान नहीं पाते।
आज के दौर में ऐसे कई AI सॉफ्टवेयर और ऐप्स मौजूद हैं, जो इंसान की शक्ल और आवाज की हूबहू नकल कर सकते हैं। यही कारण है कि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर AI इंसानी समझ से कहीं आगे बढ़ गया, तो यह इंसानियत के लिए गंभीर समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है।
क्या AI से होने वाला खतरा वास्तविक है?
AI के तेज़ी से विकास और इसके संभावित खतरों को लेकर चिंता जताई जा रही है। अगर यह तकनीक सही दिशा में विकसित नहीं होती, तो यह न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है, बल्कि समाज के समग्र ढांचे को भी प्रभावित कर सकती है। ऐसे में AI की निगरानी और उसके विकास को लेकर वैश्विक स्तर पर चर्चा और नियंत्रण की आवश्यकता होगी।
अगर यह चेतावनियाँ सच होती हैं, तो आने वाले समय में AI के साथ हमारी सह-अस्तित्व की दिशा में कई सवाल उठ सकते हैं, जिनका उत्तर देना जरूरी होगा।