गुरुग्राम: सेमीकंडक्टर के लिए सिंगापुर से समझौता डील का स्वागत: दीपक मैनी

गुरुग्राम, 7 सितम्बर (हि.स.)। प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ इंडिया (पीएफटीआई) के चेयरमैन दीपक मैनी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिंगापुर दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच सेमीकंडक्टर फील्ड में पार्टनरशिप को लेकर जो डील हुई है, उसका पीएफटीआई स्वागत करती है। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की मौजूदगी में सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में समझौते पर हस्ताक्षर के बाद भारत में सिंगापुर की सेमीकंडक्टर कंपनियों के प्रवेश का रास्ता आसान हो गया है।

दीपक मैनी ने कहा कि हरियाणा में भी इसके विनिर्माण को लेकर प्लांट लगाने की दिशा में कदम बढऩा चाहिए। इन्होंने कहा कि पीएफटीआई पिछले काफी समय से इसे लेकर मांग कर रही है। इस बारे में हरियाणा सरकार को सुझाव भी दे चुकी है। सिंगापुर और भारत के बीच को इंडिया सिंगापुर सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम पार्टनरशिप नाम दिया गया है। भारत को सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में इस समझौते से कई फायदे होंगे। पहला भारत को सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में प्रतिभाओं के विकास का मौका मिलेगा। इसके अलावा सेमीकंडक्टर इंडस्ट्रियल पार्क के वेस्ट मैनेजमेंट से जुड़ी जानकारियां भी एक दूसरे से बांटी जाएंगी। सिंगापुर में जमीन और कर्मियों की कमी है जबकि भारत में ऐसा नहीं है। भारत सिंगापुर के सेमीकंडक्टर वैल्यू चैन का हिस्सा बन सकता है।

दीपक मैनी ने कहा कि मार्च में ही गुजरात के धोलेरा में सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन यूनिट लगाने को लेकर जगह चिन्हित हो चुकी है। भारत की केंद्रीय कैबिनेट ने जुलाई 2023 में जापान-भारत सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन पार्टनरशिप पर भारत और जापान के बीच सहयोग करार पत्र पर हस्ताक्षर हो चुके हैं। यह बात भी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। साणंद में केनेस सेमीकॉन इकाई में प्रति दिन 6 मिलियन चिप्स के उत्पादन की क्षमता होगी जो मोटर वाहन, इलेक्ट्रिक वाहन, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार और मोबाइल फोन सहित विभिन्न प्रकार के उद्योगों की मांग पूरी करेगी।

उन्होंने कहा कि सेमीकंडक्टर एक ऐसा आवश्यक उपकरण है, जिसका हर क्षेत्र में मुख्य रूप से ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल मैन्युफक्चरिंग, स्पेस टेक्नोलॉजी, विमानन क्षेत्र सहित अन्य इंजनियरिंग क्षेत्र की मैन्युफैक्चरिंग में काम आता है। कोविड-19 महामारी के दौर में सेमीकंडक्टर की कमी के कारण ऑटोमोबाइल, मोबाइल मैन्युफक्चरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में भीषण संकट खड़ा हो गया था। आज जिस प्रकार से वैश्विक स्तर पर अशांति का माहौल है, उससे सेमीकंडक्टर का सप्लाई चेन फिर प्रभावित हो सकता है। ऐसे में भारत को इस मामले में आत्मनिर्भर होने की जरूरत है।