देशभर में ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को लेकर चर्चाएं और बहस तेज हो गई हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने 5वीं से 8वीं कक्षा के छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इस पॉलिसी को समाप्त करने का निर्णय लिया है। वहीं, तमिलनाडु जैसे कुछ राज्य इस नीति को अब भी जारी रखने पर जोर दे रहे हैं। तमिलनाडु सरकार ने साफ कर दिया है कि वह नो डिटेंशन पॉलिसी को जारी रखेगी।
नो डिटेंशन पॉलिसी क्या है?
- पहले की व्यवस्था:
5वीं से 8वीं तक के छात्रों को फेल होने पर भी अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाता था। - पॉलिसी में बदलाव:
- अब, अगर छात्र फेल होते हैं, तो उन्हें 2 महीने के भीतर दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलेगा।
- अगर छात्र फिर से फेल होते हैं, तो उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा।
- तमिलनाडु की स्थिति:
तमिलनाडु ने इस नीति को समाप्त करने से इनकार कर दिया है। राज्य में अभी भी नो डिटेंशन पॉलिसी लागू है।
तमिलनाडु सरकार का रुख
तमिलनाडु के स्कूल शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पायोय्यामोक्षी ने इस नीति को जारी रखने का निर्णय लिया है।
- गरीब छात्रों का ध्यान:
मंत्री ने कहा कि इस नीति को हटाने से गरीब परिवारों के बच्चों की शिक्षा प्रभावित होगी। - राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पालन नहीं:
तमिलनाडु सरकार ने स्पष्ट किया कि वह केंद्र की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) का पालन नहीं करती।- केंद्र सरकार का यह फैसला केवल केंद्रीय स्कूलों में लागू होगा।
- तमिलनाडु में यह नीति लागू नहीं की जाएगी।
नो डिटेंशन पॉलिसी: केंद्र का तर्क
केंद्र सरकार का कहना है कि इस नीति को हटाने से छात्रों में शिक्षा के प्रति जिम्मेदारी बढ़ेगी।
- छात्रों को फेल होने का डर होगा, जिससे वे पढ़ाई पर अधिक ध्यान देंगे।
- कक्षा 5 और 8 के छात्रों को 2 महीने में अतिरिक्त परीक्षा देने का मौका मिलेगा।
- अगर वे पास नहीं होते, तो उन्हें पिछली कक्षा में रोक दिया जाएगा।
नो डिटेंशन पॉलिसी के प्रभाव
- पॉलिसी जारी रखने के फायदे:
- गरीब और पिछड़े वर्ग के छात्रों को शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिलता है।
- बच्चों पर फेल होने का मानसिक दबाव नहीं रहता।
- पॉलिसी समाप्त करने के फायदे:
- छात्रों में शिक्षा के प्रति गंभीरता आती है।
- शिक्षा का स्तर बेहतर होता है।