पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार को दिल्ली के एम्स (AIIMS) में निधन हो गया। 10 वर्षों तक देश के प्रधानमंत्री रहने वाले डॉ. सिंह को पूरी दुनिया में एक कुशल अर्थशास्त्री और शालीन नेता के रूप में याद किया जाता है। 2014 में प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद उन्होंने सार्वजनिक जीवन में अपनी भागीदारी सीमित कर ली थी।
डॉ. मनमोहन सिंह: भारत की आर्थिक नीतियों के शिल्पकार
डॉ. मनमोहन सिंह ने अपनी पहचान एक दूरदर्शी अर्थशास्त्री के रूप में बनाई।
- वित्त मंत्री के रूप में योगदान:
- वह पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री रहे।
- 1991 में, उन्होंने भारत में नई आर्थिक नीति लागू की, जिसने देश के बाजारों को वैश्विक स्तर पर खोलने का मार्ग प्रशस्त किया।
- उनके सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव रखी, जिस पर आज की आर्थिक प्रगति आधारित है।
- साहसी निर्णय:
- विनम्र स्वभाव के बावजूद, डॉ. सिंह ने कई कठिन और साहसिक निर्णय लिए।
- अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश के साथ असैन्य परमाणु समझौता करना उनका सबसे चर्चित और ऐतिहासिक कदम था।
अमेरिका के साथ असैन्य परमाणु समझौता: डॉ. सिंह का अडिग नेतृत्व
डॉ. सिंह के नेतृत्व में भारत और अमेरिका के बीच असैन्य परमाणु समझौता हुआ, जिसने वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत किया।
- राजनीतिक विरोध:
- यूपीए गठबंधन के भीतर और वामपंथी दलों ने इस डील का कड़ा विरोध किया।
- राजनीतिक दबाव और विरोध के चलते सरकार को विश्वास मत का सामना करना पड़ा।
- सोनिया गांधी से असहमति:
- इस डील पर सोनिया गांधी ने भी असहमति जताई।
- नाराज डॉ. सिंह ने इस्तीफा देने की पेशकश कर दी।
- हालांकि, उनकी विनम्रता और दृढ़ता ने सरकार को इस समझौते के पक्ष में राजी कर लिया।
- अमेरिकी राष्ट्रपति का सहयोग:
- 2005 में, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इस समझौते की घोषणा की।
- यह समझौता भारत और अमेरिका को और करीब ले आया और इसे भारत की कूटनीतिक जीत के रूप में देखा गया।
डॉ. मनमोहन सिंह की शख्सियत: कम बोलने वाले, लेकिन ठोस फैसले लेने वाले नेता
डॉ. सिंह का कार्यकाल कई दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा।
- 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री:
- उन्होंने लगातार 10 साल तक प्रधानमंत्री के रूप में सेवा दी।
- उनके नेतृत्व में भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत किया।
- राजनीतिक आलोचना:
- उन पर “रिमोट कंट्रोल सरकार” चलाने के आरोप लगे।
- लेकिन असैन्य परमाणु समझौते जैसे फैसलों ने उनकी छवि को मजबूत किया और उनकी नेतृत्व क्षमता को साबित किया।
संजय बारू की किताब और 2009 का चुनाव
डॉ. मनमोहन सिंह के राजनीतिक और कूटनीतिक फैसलों का प्रभाव संजय बारू की पुस्तक “द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर” में भी झलकता है।
- संजय बारू का कथन:
- “असैन्य परमाणु समझौते के फैसले ने डॉ. सिंह को एक मजबूत नेता के रूप में पेश किया।”
- इसने सोनिया गांधी के प्रति उनकी कथित अधीनता की धारणा को भी तोड़ा।
- 2009 का चुनाव:
- उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 2009 में 206 सीटें जीतकर शानदार प्रदर्शन किया।
डॉ. मनमोहन सिंह की विरासत
डॉ. मनमोहन सिंह की विनम्रता, दूरदर्शिता और अर्थव्यवस्था में योगदान ने उन्हें भारत के सबसे सम्मानित प्रधानमंत्रियों में से एक बना दिया।
- उनकी आर्थिक नीतियां आज भी भारतीय प्रगति की रीढ़ हैं।
- उनके कार्यकाल में लिए गए फैसले, विशेष रूप से असैन्य परमाणु समझौता, उनके साहसिक और दूरदर्शी नेतृत्व का उदाहरण हैं।