दिल्ली विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर स्थित ग्वायर हॉल की कैंटीन में शुक्रवार को भीषण आग लगने की घटना सामने आई। दिल्ली फायर सर्विस के अधिकारियों के अनुसार, आग लगने की सूचना सुबह करीब 10:55 बजे मिली। तुरंत दमकल की चार गाड़ियां मौके पर भेजी गईं, जिन्होंने घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। राहत की बात यह रही कि इस हादसे में किसी के घायल या हताहत होने की खबर नहीं है।
आग की भयावहता
दिल्ली फायर सर्विस द्वारा जारी तस्वीरों में कैंटीन से आग की ऊंची-ऊंची लपटें उठती नजर आईं, जो घटना की गंभीरता को दर्शाती हैं। यदि समय पर आग को नियंत्रित नहीं किया जाता, तो यह बड़ा नुकसान पहुंचा सकती थी। अधिकारियों ने बताया कि आग पर समय रहते काबू पाने से बड़ा हादसा टल गया।
संसद भवन के पास आत्मदाह करने वाले व्यक्ति की मौत
एक अन्य घटना में, संसद भवन के पास आत्मदाह करने वाले 26 वर्षीय युवक की शुक्रवार को राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में मौत हो गई। उत्तर प्रदेश के बागपत निवासी जितेंद्र ने 25 दिसंबर को नए संसद भवन के पास अपने शरीर पर पेट्रोल जैसा पदार्थ डालकर आत्मदाह की कोशिश की थी। सुरक्षाकर्मियों ने तत्काल आग बुझाकर उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां वह ‘बर्न वार्ड’ में भर्ती था। लेकिन 95 प्रतिशत जलने के कारण शुक्रवार तड़के 2:23 बजे उसने दम तोड़ दिया।
आत्मदाह के पीछे की वजह
पुलिस की शुरुआती जांच के अनुसार, जितेंद्र ने पारिवारिक विवाद और कानूनी समस्याओं के चलते यह कदम उठाया। बताया गया कि बागपत में उसके परिवार पर गांव के ही एक अन्य परिवार के साथ मारपीट के दो मामले दर्ज थे, जिससे वह मानसिक रूप से परेशान था।
पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंपा
पुलिस ने बताया कि जितेंद्र का शव पोस्टमार्टम के बाद उसके परिजनों को सौंप दिया गया है। घटना ने परिवार और क्षेत्र के लोगों को झकझोर दिया है।
दोनों घटनाएं राजधानी में सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियों को रेखांकित करती हैं। एक तरफ विश्वविद्यालय परिसर में आग जैसी आपदा, तो दूसरी ओर आत्महत्या जैसे गंभीर सामाजिक मुद्दे, यह दर्शाते हैं कि संकट प्रबंधन और जनजागरूकता को और मजबूत करने की जरूरत है।