शादी के बाद अक्सर देखा जाता है कि जिस दोस्त के साथ कभी जिंदगी भर साथ निभाने का वादा किया था, वह दूर होने लगता है, ऐसा क्यों होता है यह समझना जरूरी है।
1. नई जिम्मेदारियाँ और प्राथमिकताएँ
शादी के बाद व्यक्ति की जिम्मेदारियाँ बहुत बढ़ जाती हैं। जीवन साथी, परिवार और भविष्य की योजनाएँ प्राथमिकताएँ बन जाती हैं। अब जो समय और ऊर्जा पहले दोस्तों के साथ बिताई जाती थी, वह नए परिवार और नई ज़िम्मेदारियों पर खर्च होने लगती है। लोग अपने काम, बच्चों की परवरिश और घर की देखभाल में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि दोस्तों के लिए समय निकालना मुश्किल हो जाता है।
2. जीवन का एक नया चरण
शादी के बाद किसी की भी जीवनशैली और जीवन के लक्ष्य बदल जाते हैं। वह अपने जीवनसाथी के साथ एक नई ज़िंदगी की योजना बनाने लगता है, जिसमें दोस्तों की भूमिका सीमित हो जाती है। पहले की तुलना में बातचीत कम हो जाती है। शादी के बाद व्यक्ति का ध्यान ज़्यादातर अपने परिवार और भविष्य की वित्तीय स्थिरता पर केंद्रित हो जाता है, इसलिए उसे दोस्तों के साथ बिताने के लिए कम समय मिलता है।
3. नए रिश्तों को प्राथमिकता दें
शादी के बाद व्यक्ति अक्सर अपने जीवनसाथी और अपने परिवार के साथ ज़्यादा समय बिताता है। नए रिश्ते शुरू करने और उन्हें मज़बूत बनाने की कोशिश में दोस्तों के साथ पुराने रिश्ते धीमे पड़ जाते हैं। जीवनसाथी के साथ आपसी समझ विकसित करने और नए पारिवारिक रिश्तों में संतुलन लाने में समय लगता है, जो दोस्तों से दूरी बनाने का एक और कारण बन जाता है।
4. सामाजिक दबाव और अपेक्षाएँ
समाज में शादीशुदा लोगों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी प्राथमिकताएं बदलें और ज़िम्मेदारी भरा जीवन जिएं। शादी के बाद कई लोग सामाजिक दबाव के कारण ज़्यादा दोस्तों से नहीं मिलते। कई बार तो खुद के माता-पिता और ससुराल वाले भी दोस्तों से दूर रहने की सलाह देते हैं।
5. दोस्ती का बदलता नजरिया
शादी के बाद दोस्ती का नज़रिया भी बदल जाता है। कई बार शादीशुदा व्यक्ति और उसके अविवाहित दोस्तों की ज़िंदगी में काफ़ी अंतर आ जाता है। दोनों की ज़रूरतें, प्राथमिकताएँ और ज़िंदगी के अनुभव अलग-अलग हो जाते हैं, जिससे आपसी मेलजोल में कमी आ सकती है। इसके बावजूद सच्ची दोस्ती समय और ज़िंदगी की परिस्थितियों से परे होती है। अगर दोस्ती मज़बूत है, तो इन बदलावों के बावजूद भी वह बरकरार रहती है।