वित्त वर्ष 2024-25 के लिए कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को टैक्स-सेविंग्स इनवेस्टमेंट का प्रूफ जमा करने का निर्देश दिया है। ज्यादातर कंपनियों ने इसके लिए 15 जनवरी 2025 की डेडलाइन तय की है। यदि कर्मचारी इस समय सीमा तक दस्तावेज जमा नहीं करते हैं, तो उनकी सैलरी से अतिरिक्त टैक्स काटा जा सकता है। आइए इस प्रक्रिया को विस्तार से समझते हैं।
टैक्स-सेविंग्स का मतलब क्या है?
टैक्स-सेविंग्स का उद्देश्य आयकर के तहत दी जाने वाली छूटों का लाभ उठाना है।
- इनकम टैक्स की ओल्ड रीजीम के तहत सेक्शन 80सी और 80डी में विभिन्न निवेश और खर्चों पर डिडक्शन का लाभ मिलता है।
- ये डिडक्शन टैक्सपेयर्स की टैक्स देनदारी को कम करने में मदद करते हैं।
सेक्शन 80सी के तहत निवेश विकल्प:
- पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF)
- इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS)
- लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी
- दो बच्चों की ट्यूशन फीस
सेक्शन 80डी के तहत:
- हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर डिडक्शन का लाभ।
इन विकल्पों में निवेश करने पर कर्मचारी टैक्स सेविंग्स का फायदा उठा सकते हैं।
कंपनियां टैक्स-सेविंग्स प्रूफ क्यों मांगती हैं?
कंपनियां कर्मचारियों की सैलरी से हर महीने टीडीएस (TDS) काटती हैं।
- वित्तीय वर्ष की शुरुआत में कर्मचारी टैक्स-सेविंग्स प्लान प्रस्तुत करते हैं।
- कंपनी का फाइनेंस डिपार्टमेंट इन प्लान्स के आधार पर पूरे साल का अनुमानित टैक्स कैलकुलेट करता है।
- 15 जनवरी तक टैक्स-सेविंग्स प्रूफ मांगा जाता है ताकि:
- पूरे वर्ष के टैक्स की सही गणना हो सके।
- टैक्स में किसी भी अतिरिक्त देनदारी को जनवरी, फरवरी, और मार्च की सैलरी से एडजस्ट किया जा सके।
अगर प्रूफ न दिया जाए:
- यदि कोई कर्मचारी अपने इनवेस्टमेंट का प्रमाण नहीं देता है, तो कंपनी अधिक टैक्स काटेगी।
- यह कटौती जनवरी से मार्च के बीच की सैलरी से की जाएगी।
प्रूफ नहीं देने पर क्या होगा?
1. ज्यादा टैक्स कटेगा:
यदि कर्मचारी टैक्स-सेविंग्स प्रूफ समय पर सबमिट नहीं करते:
- कंपनी यह मान लेगी कि टैक्स-सेविंग्स निवेश नहीं किया गया है।
- परिणामस्वरूप, जनवरी-मार्च की सैलरी से ज्यादा टैक्स काट लिया जाएगा।
2. सैलरी में कटौती:
अधिक टैक्स कटने की वजह से आपके बैंक खाते में सैलरी का कम हिस्सा क्रेडिट होगा।
डेडलाइन के बाद प्रूफ देने पर क्या होगा?
यदि 15 जनवरी की डेडलाइन के बाद प्रूफ जमा किया जाता है:
- कंपनी आपके टीडीएस को रिवाइज नहीं करेगी।
- आपको वित्त वर्ष के अंत में इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करते समय टैक्स रिफंड क्लेम करना होगा।
- टैक्स रिफंड प्रक्रिया में समय लग सकता है।
टैक्स-सेविंग्स प्रूफ में किन दस्तावेजों की जरूरत है?
- हाउस रेंट अलाउंस (HRA):
- किराए की रसीद।
- मकान मालिक का पैन (यदि किराया ₹1 लाख से ज्यादा है)।
- सेक्शन 80सी:
- PPF पासबुक की कॉपी।
- ELSS निवेश का स्टेटमेंट।
- लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी की रसीद।
- बच्चों की ट्यूशन फीस की रसीद।
- सेक्शन 80डी:
- हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम की रसीद।
समय पर टैक्स-सेविंग्स प्रूफ सबमिट करने के फायदे
- अधिक टैक्स कटौती से बचाव:
समय पर प्रूफ जमा करने से जनवरी-मार्च की सैलरी में अतिरिक्त कटौती से बचा जा सकता है। - सही टैक्स कैलकुलेशन:
कंपनियां आपके टैक्स का सही आकलन कर सकेंगी। - टैक्स रिफंड का झंझट नहीं:
यदि समय पर प्रूफ दिया गया तो रिफंड क्लेम करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।