रात के अंधेरे में झाड़ियों और पेड़ों के बीच टिमटिमाने वाले जुगनू (Fireflies) हमेशा से ही प्रकृति के अद्भुत करिश्मे का हिस्सा रहे हैं। उनकी चमक ऐसी लगती है जैसे धरती पर तारे उतर आए हों। हालांकि, अब यह नजारा दुर्लभ होता जा रहा है। न केवल शहरों में बल्कि गांवों में भी जुगनुओं की संख्या तेजी से घट रही है।
प्रमुख कारण हैं: बढ़ता प्रदूषण और हरियाली की कमी। हाल ही में एक शोध में इसे लेकर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। आइए जानते हैं कि जुगनुओं की घटती संख्या के पीछे क्या कारण हैं और इस पर रिसर्च में क्या बताया गया है।
जुगनुओं की संख्या घटने के कारण
जुगनू बायो-इंडिकेटर के रूप में जाने जाते हैं और पर्यावरणीय स्वास्थ्य का संकेत देते हैं।
- जुगनू पतले, चपटे और स्लेटी रंग के छोटे कीट होते हैं।
- वे मुख्य रूप से वनस्पति और छोटे कीटों को खाते हैं और फल-सब्जियों को कीटों से बचाने का काम करते हैं।
- जमीन के अंदर या पेड़ों की छालों में अंडे देने वाले जुगनू अब संकट में हैं।
प्रमुख कारण:
- प्रदूषण:
- वायु और ध्वनि प्रदूषण जुगनुओं के प्राकृतिक आवास को नष्ट कर रहा है।
- प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution) उनकी चमकने की क्षमता को प्रभावित करता है।
- हरियाली की कमी:
- तेजी से घटते जंगल और पेड़ों की कटाई ने उनके रहने की जगह सीमित कर दी है।
- मानव गतिविधियां:
- अंधाधुंध शहरीकरण और खेती के तरीके भी उनकी घटती संख्या का बड़ा कारण हैं।
क्या कहती है रिसर्च?
भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) ने जुगनुओं पर एक स्टडी की है, जो इस क्षेत्र में अपनी तरह की पहली रिसर्च है।
- शोधकर्ताओं ने SGRR यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर दून घाटी में जुगनुओं की संख्या पर अध्ययन किया।
- पाया गया कि शहरी क्षेत्रों में जुगनुओं की संख्या वन क्षेत्रों की तुलना में बहुत कम है।
- यह स्टडी भारतीय फॉरेस्टर जनरल में प्रकाशित की गई है।
रिसर्च से मुख्य बिंदु:
- निधि राणा के नेतृत्व में यह रिसर्च किया गया।
- शहरीकरण और हरियाली में कमी को जुगनुओं की घटती संख्या का मुख्य कारण बताया गया।
- अध्ययन में जुगनुओं की छह प्रजातियों की पहचान की गई।
जुगनुओं की 6 प्रजातियों पर संकट
शोध के अनुसार, दून घाटी में जुगनुओं की छह प्रजातियां पाई जाती हैं।
- इनमें से अधिकांश प्रजातियां शहरी क्षेत्रों में बेहद कम हो गई हैं।
- यदि यही स्थिति बनी रही, तो आने वाली पीढ़ियां शायद जुगनुओं को देख भी न सकें।
निधि राणा का बयान:
- “बढ़ता प्रदूषण और हरियाली की कमी जुगनुओं के लिए सबसे बड़ा खतरा है। अगर इसे रोका नहीं गया, तो ये जीव हमेशा के लिए खत्म हो सकते हैं।”
जुगनुओं को बचाने के उपाय
- प्राकृतिक आवास की सुरक्षा:
- जंगलों और हरियाली को बढ़ावा देकर जुगनुओं के लिए सुरक्षित स्थान बनाए जा सकते हैं।
- प्रकाश प्रदूषण कम करें:
- रात के समय अनावश्यक रोशनी का उपयोग न करें।
- पर्यावरण संरक्षण:
- वायु और ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करें।
- रसायनों और कीटनाशकों का उपयोग कम करें।
- जागरूकता फैलाएं:
- जुगनुओं के महत्व और उनकी घटती संख्या के प्रति लोगों को जागरूक करें।